विशिष्ट गीतकार :: रंजना गुप्ता
रंजना गुप्ता के तीन गीत नदी की पीड़ा तुम क्या जानो पीर नदी की कितनी बार सिसक कर रोई जंगल जंगल घाटी घाटी चलती रही कभी न सोई …
रंजना गुप्ता के तीन गीत नदी की पीड़ा तुम क्या जानो पीर नदी की कितनी बार सिसक कर रोई जंगल जंगल घाटी घाटी चलती रही कभी न सोई …
अब देह का है कहाँ नेह प्रिये ! निस्तेज हुए अब नैन तेरे, वेणी में झलकते, केश धवल ! मुस्कान की झीलें, सूख गई, कुम्हलाने लगे, अधरों के कंवल !…
डॉ संजय पंकज के चार गीत गीत अधूरे तुम क्या जानो तुम्हें पता क्या तुम बिन कितने गीत अधूरे! वर्तमान के जस के तस ही अपने रहे अतीत अधूरे! खाली…
गरिमा सक्सेना के नारी विमर्श के पांच गीत 1 रिश्ता जीवन का पुनीत आधी आबादी ममता, त्याग, दुलार, मीत आधी आबादी तुलसी, आँगन, घर की शोभा, बरतन-बासन पहली शिक्षा…
रामकिशोर दाहिया के सात गीत बन गए बम नील नभ है टोकरी भर एक सूपा से धरा कम नापना हो नाप लें सच है यही जो बोलते हम । तेज…
फसलों-सा कट जाओ जैसे मुस्कातीं हैं सुबहें, वैसे तुम मुस्काओ। बहो हवा-सा रिश्तों में तुम, पेड़ों जैसा झूमों। पत्थर भी हों राहों में तो, लहरें बनकर चूमों। समय परोसे गर…
अनामिका सिंह के दस गीत शाम सबेरे शगुन मनाती शाम सबेरे शगुन मनाती खुशियों की परछाई अम्मा की सुधि आई । बड़े सिदौसे उठी बुहारे कचरा कोने – कोने पलक…
हरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’ के पाँच गीत (कवि की पुण्यतिथि पर स्मरण) विघटन की गहराइयाँ छोटे-छोटे सुख के पौधे, ऐश्वयों की डालियाँ बौरायी हैं खट्टे-मीठे फलवाली अमराइयाँ । धोखे…
विशिष्ट गीतकार- हीरालाल मिश्र मधुकर उठो जवान उठो जवान! मातृभूमि को नया विधान दो। वसुन्धरा पुकारती प्रवीण प्राण दान दो। उठो किसान, बाल-वृंद, वृद्ध-नौजवां उठो, उठो कराल काल कालिका के…
वशिष्ठ अनूप के दो गीत हमारा वतन जाति-धर्मों में इसको न बाँटे कोई प्रेम की पाठशाला हमारा वतन । इसके जैसा नहीं है कोई दूसरा सारे जग से निराला…