विशिष्ट गीतकार :: मधुकर वनमाली
मधुकर वनमाली के सात गीत परिचय पूछ रहे हो परिचय मेरा मुझ से क्या मधुकर से पूछो खग मृग जो कुछ नहीं बताए गिरि कानन तरुवर से पूछो। हँसते…
मधुकर वनमाली के सात गीत परिचय पूछ रहे हो परिचय मेरा मुझ से क्या मधुकर से पूछो खग मृग जो कुछ नहीं बताए गिरि कानन तरुवर से पूछो। हँसते…
महका हरसिंगार खुली रह गई खिड़की मन की, महका हरसिंगार रात भर। शीतल मलयानिल रजनी के, जूड़े में ध्रुव टाँक रहा था। बिखराता ज्योत्स्ना अजिर में, सुघर चंद्रमा झांक रहा…
1 थक गई संवेदना को पंख दे दो प्यार के खिलते कँवल कुम्हिला रहे हैं । आँख का पानी सिमटता जा रहा है अंकुरित श्रद्धा शिथिल होने लगी है समय…
अर्थ उलट जाते हैं कुछ बातें सीधी होती हैं लेकिन अर्थ उलट जाते हैं काने को काना कह देना आग लगा देता है अक्सर गहन अमाँ से भी हो जाती…
गाँव ढूँढते हो पहले काटा पेड़ और अब छांँव ढूँढते हो पागल हो, इस महानगर में गांँव ढूँढते हो मिलने और मिलाने वाली रीतों को छोड़ा चिट्ठी – पत्री…
1 प्रिय मल गए गुलाल पतझर-सा यह जीवन जो था क्लांत, दुखद, बेहाल उसमें तुम फागुन-सा आकर प्रिय मल गए गुलाल ग़म को निर्वासित कर तुमने मेरा मोल बताया जो…
1 बहुएँ-बेटे आये घर गुलजार हो गया ! आँगन खिल-खिल बच्चों से इस बार हो गया ! अधिक रौशनी दीपों में दिख रहा बंधु है पुलकित होता रह-रह कर हृद-प्यार…
1 मन मरुथल तन हुआ कैक्टस देख अजब दुनियाँ की रीत ऐसी भावदशा में कोई कैसे लिखे सुहावन गीत आफत आयी, उठा बवंडर भीतर संशय और भरा डर कजरी, मेघ-मल्हार…
गीत दिनेश प्रभात मत कहो… मत कहो इक गीत, माँ पर भी लिखा है! शब्द की ऊँचाइयों का भ्रम न पालो, त्याग उसका तुम किसी क्रम में न ढालो, सिन्धु…
दोहे गरिमा सक्सेना माँ है मूरत प्रेम की, ममता का भंडार। संतानों में देखती, वो अपना संसार।। सदा सुधा ही बाँटती, सहकर शिशु की लात। माँ आँचल में प्रेम भर,…