विशिष्ट गीतकार :: डॉ रंजीत पटेल
निर्भया को याद करते हुए उजाले समय में तमस डाला डेरे राह में चतुर्दीक कंटकों के घेरे छला है उसे सबने रौंदा मन के सपने बचकर कहाँ जायें हर जगह…
निर्भया को याद करते हुए उजाले समय में तमस डाला डेरे राह में चतुर्दीक कंटकों के घेरे छला है उसे सबने रौंदा मन के सपने बचकर कहाँ जायें हर जगह…
1 आप भी तो ओंठ से कुछ बोलियेगा चाँदनी बनकर नयन में डोलियेगा सिर्फ़ मैं ही आपसे कहता रहा हूँ एक तट-सा टूटता ढहता रहा हूँ पोटली में…
सभी विवश असहाय एक अजब-सा डर लिखता है रोज़ नया अध्याय जग के सम्मुख खड़ा हुआ है जीवन का संकट जिसे देख विकराल हो रही पल-पल घबराहट कैसे सुलझे उलझी…
डॉ शिवदास पांडेय मुजफ्फरपुर के प्रमुख साहित्यकार रहे हैं. इनका चले जाना बिहार ही नहीं, देश की साहित्य-सर्जना के लिए बड़ी क्षति है. कुशल प्रशासक का दायित्व निभाते हुए इन्होंने…
बाज़ारी अजगर बेच रहा जंगल अब शावक की खाल माँ अपने लालों को रख तू सम्भाल नयी-नयी विज्ञप्ति नये-नये रूप छाया तक बेच रही अब तीखी धूप फाँस रहा जीवन…
कल एक नर्स की मासूम बच्ची और एक पुलिस के मासूम बच्चे को माता-पिता के लिए तड़पते देखकर मन बहुत भावुक हो गया।महामारी से लड़ रहे ऐसे सभी डाक्टरों, नर्सों,…
1 सगुन पांखी अब नहीं इस तरफ आते।। जि़न्दगी जकड़ी हुई है हादसों मे। खून बन कर बह रहा है भय नसों मे। स्वस्ति-वाचक शब्द फिरते मुँह चुराते।।…
रंजन कुमार झा (1) व्याधि तुझे तो आना ही था सँग कुदरत के इन मनुजों ने जो निर्मम व्यवहार किया है भू, जंगल, पर्वत, नदियों पर जितना अत्याचार किया है…
धन्य ये प्राण हो गए हाट हुए हैं बंद घाट सुनसान हो गए जीवन के अवरुद्ध सभी अभियान हो गए था स्वतंत्र अब तक यह जीवन अपनी शर्तों पर…
काँपता है गाँव गाँव में कुछ लोग लौटे हैं शहर से! हैं वही परिचित वही अपने-सगे हैं पाँव छूकर फिर गले सबके लगे हैं रोज के निर्देश से कुछ बेखबर…