विशिष्ट गीतकार : राजेन्द्र वर्मा
1 पीठ पर माँ बेटा माँ को लाद पीठ पर चला गाँव को । देश बंद है, ख़त्म हुआ सब दाना पानी, दो रोटी देने में भी काँखे रजधानी, …
1 पीठ पर माँ बेटा माँ को लाद पीठ पर चला गाँव को । देश बंद है, ख़त्म हुआ सब दाना पानी, दो रोटी देने में भी काँखे रजधानी, …
(1) पतझर पर कोंपल संदेश लिख रहे माघ-अधर जीवन उपदेश लिख रहे डाल-डाल तरुवों पर सरगम के मधुर बोल आशा के पंथ नये मौसम ने दिये खोल समय फिर पटल…
दो गीत : संदर्भ पर्यावरण 1. कंकरीट के जंगल में चली उजाले की आँधी हरियाली को लील गई! खिड़की से उतरा चंदा लोहे पर अटक गया है कंकरीट के जंगल…
(1) क्या रक्खा अब यार गाँव में! नहीं रहा जब प्यार गाँव में! बड़कन के दरवाजे पर है खूँटा गड़ा बुझावन का! फोड़ दिया सर कल्लू ने कल अब्दुल और…
देवी धरती की दूब देख लगता यह सच्ची कामगार धरती की मेड़ों को साध रही है खेतों को बाँध रही है कटी-फटी भू को अपनी- ही जड़ से नाथ रही…
1 आदमी थे हम छोडकर घर-गाँव, देहरी–द्वार सब आ बसे हैं शहर मे इस तरह हम भी प्रगति की दौड़ को तत्पर हुए. चंद डिब्बों मे ‘गिरस्ती’ एक घर…
(1) प्रिये तुम्हारी आँखों ने कल दिल का हर पन्ना खोला था दिल से दिल के संदेशे सब होठों से तुमने लौटाये प्रेम सिंधु में उठी लहर जो कब तक…
श्रद्धांजलि : अमन चांदपुरी के गीत 1 वह मिलन के स्वप्न बुनती रह गई पर प्रीत की डोरी न अब तक जोड़ पाई रूप-रँग औ’ रस सभी फीके पड़े हैं…
सावन के झूले यादों में शेष रहे सावन के झूले गाँव-गाँव फैल गई शहरों की धूल छुईमुई पुरवा पर हँसते बबूल रह-रहके सूरज तरेरता है आँखें बाहों में भरने को…
नज़र लग गयी घायल है, चोट किधर किधर लग गयी, सोने की चिड़िया की फिकर लग गयी। हौसला गज़ब का था गज़ब की उड़ान एक किये रहती थी धरा आसमान…