विशिष्ट ग़ज़लकार : हस्तीमल हस्ती

(1)
चिराग़ दिल का म़ुकाबिल हवा के रखते हैं
हर एक हाल में तेवर बला के रखते हैं

मिला दिया है पसीना भले ही मिट्टी में
हम अपनी आँख का पानी बचा के रखते हैं

हमें पसंद नहीं जंग में भी मक्कारी
जिसे निशाने पे रक्खें बता के रखते हैं

कहीं ख़ुलूस कहीं दोस्ती, कहीं पे व़फा
बड़े करीने से घर को सजा के रखते हैं

अनापसंद हैं `हस्ती’ जी सच सही लेकिन
नज़र को अपनी हमेशा झुका के रखते हैं

(2)
कांच के टुकड़ों को महताब बताने वाले
हमको आते नहीं आदाब ज़माने वाले

ग़ैर के दर्द से भी लोग तड़प जाते थे
वो ज़माना ही रहा ना वो ज़माने वाले

दर्द की कोई दवा ले के स़फर पे निकलो
जाने मिल जाएँ कहाँ ज़ख़्म लगाने वाले

उनको पहचाने भी तो कैसे कोई पहचाने
अम्न के चोले में हैं आग लगाने वाले

वो करिश्माई जगह है ये मुहब्बत की बिसात
हार जाते हैं जहाँ सबको हराने वाले

 

(3)
फूल पत्थर में खिला देता है
यूँ भी वो अपना पता देता है

ह़कबयानी की सज़ा देता है
मेरा क़द और बढ़ा देता है

अपने रस्ते से भटक जाता है
वो मुझे जब भी भुला देता है

मुझमें पा लेने का जज़्बा है अगर
क्यों ये सोचूँ कोई क्या देता है

उसने बख़्शी है बड़ाई जबसे
वो मुझे ग़म भी बड़ा देता है

(4)
प्यार में उनसे करूँ शिकायत ये कैसे हो सकता है
छोड़ दूँ मैं आदाबे-मुहब्बत ये कैसे हो सकता है

फूल न महकें, भँवर न बहकें गीत न गाए कोयलिया
और बच्चे ना करें शरारत ये कैसे हो सकता है

कोई मुहब्बत से है खाली, कोई सोने-चाँदी से
हर झोली में हो हर दौलत, ये कैसे हो सकता है

जन्नत का अरमान अगर है मौत से यारी कर प्यारे
जीते जी मिल जाए जन्नत ये कैसे हो सकता है

तेरी लगन और तेरे जुनूँ में कोई कमी होगी `हस्ती’
वरना रंग न लाए चाहत ये कैसे हो सकता है

(5)
उस जगह सरहदें नहीं होतीं
जिस जगह ऩफरतें नहीं होतीं

उसका साया घना नहीं होता
जिसकी गहरी जड़ें नहीं होतीं

बस्तियों में रहें कि जंगल में
किस जगह उलझनें नहीं होतीं

मुँह पे कुछ और पीठ पे कुछ और
हमसे ये हरकतें नहीं होतीं

रास्ते उस तऱफ भी जाते हैं
जिस तऱफ मंज़िलें नहीं होतीं
……………………………………………..
परिचय : चर्चित ग़ज़लकार, ग़ज़ल की छह पुस्तकें प्रकाशित.
मशहूर ग़जल गायक जगजीत सिंह, अनूप जलोटा व पंकज उधास ने इनके ग़ज़लों का किया गायन
महाराष्ट्र हिंदी अकादमी सहित कई संस्थाओं से सम्मानित
संपर्क : करन अपार्टमेंट, यात्री होटल के समीप, प्रभात कॉलोनी, सांताक्रूज, मुंबई-55
मो.9820590040

One thought on “विशिष्ट ग़ज़लकार : हस्तीमल हस्ती

  1. उम्दा ग़ज़लें….वाकई हस्ती जी अपने समय के विशिष्ट ग़ज़लकार हैं

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