विशिष्ट गीतकार : शिव कुमार बिलगरामी

प्यार करते हो मुझे तुम तो यही उपहार देना
मैं तुम्हारा हो न पाऊँ , फिर भी मुझको प्यार देना

तुम अगर मेरे सुहृद हो तो मुझे तुम प्यार करना
तुम अगर मेरे नहीं हो तो भी ये उपकार करना
प्यार तुम देना न देना प्यार का अधिकार देना
मैं तुम्हारा हो न पाऊं….

प्रेम में कितना कठिन है सत्य को अधरों पे लाना
और उससे भी कठिन है प्रेम को दिल में छुपाना
प्रेम हो दिल में छुपा तो तुम उसे उदगार देना
मैं तुम्हारा हो……

प्यार को तुम फूल जैसा रंग देकर मत खिलाना
प्यार को तुम पंख देना प्यार को ख़ुशबू बनाना
प्यार को सीमित न रखना प्यार को विस्तार देना
मैं तुम्हारा हो न पाऊं…….

 

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