विशिष्ट कवि :: सतीश नूतन
माँ – सतीश नूतन माँ फैमली पेंशन पाती है पेंशन लेने जब भी आती है बैंक पासबुक में दबा कर लाती है घर की जरूरतों की एक लम्बी सूची हर…
माँ – सतीश नूतन माँ फैमली पेंशन पाती है पेंशन लेने जब भी आती है बैंक पासबुक में दबा कर लाती है घर की जरूरतों की एक लम्बी सूची हर…
माँ – रशीद अहमद शेख़ ‘रशीद’ ममता की खान स्नेह का सागर अनुपम उसका उर अद्भुत विद्यालय जन्म दायिनी सतत रक्षिका पालन-पोषण करती अविरल छाती का अमृत प्रदान कर जीवन दान…
मां होने का मतलब ख़ुदेजा ख़ान जैसे होता है पहले प्यार का अहसास जैसे भरता है परिंदा पहली उड़ान जैसे धक से हो जाता है दिल किसी बात पर ऐसा…
माँ की मौजूदगी कहीं दर्ज नहीं डॉ. आशासिंह सिकरवार माँ ने कभी भूखा नहीं सोने दिया अपने बच्चों को काश !! बच्चें जान पाते चंद्रमा – सी गोल रोटी उसने…
जनार्दन मिश्र की तीन कविताएं 1 मेरी मां बहुत ही प्यारी न्यारी दुलारी मेरी धरती है मां मेरी प्रकृति है मां मेरा सबकुछ है मां मेरी नींद मेरी लोरी है…
हर पल की सांसें डॉ सुजीत वर्मा हर पल की सांसें मां से। रोज़ की सुबह मां से। जिह्वा एवं कंठ में स्वाद मां के हाथों निवाले से। आंखों में…
पुनरावृत्ति अजय श्रीवास्तव तरु का सालाना जीवन-चक्र पतझड़ और गिरे पत्तों को इकट्ठा करने के कुछ पहले ही हरियाली का फिर जीभ चिढ़ाना ठगा-सा मैं केवल एक जीवन-चक्र के साथ…
आशीष मोहन की तीन कविताएं मुहब्बत इस बार मुहब्बत के, कुछ शब्द लिखे हमनें। इक मां, फिर मां, यही कई बार लिखे हमनें छुअन मां के हाथों की नाजुक छुअन…
मां श्यामल श्रीवास्तव 1 एक मुकम्मल शब्द है मां मां एक मुकम्मल जिन्दगी जिन्दगी की मुकम्मल कविता का रुहानी अहसास– मां ही तो है। 2 हर दौर में होती है…
मां की भौगोलिक दुनिया अभिषेक चंदन उर्फ ऋषि कुमार और इस घर में क्या रखा है अपनी इच्छाओं की कचोट पर हमारे सपनों का मुल्लमा चढ़ा रखा है घर के…