विशिष्ट गीतकार : दरवेश भारती
प्रिये! प्रीत की रीत तुमने न जानी विरह में समय ज्यों गुज़ारा हृदय जानता है हमारा हमेशा उदासीनता ही रही साथ बनकर सहारा व्यथा यह तुम्हारे लिए है कहानी तुम्हारे…
प्रिये! प्रीत की रीत तुमने न जानी विरह में समय ज्यों गुज़ारा हृदय जानता है हमारा हमेशा उदासीनता ही रही साथ बनकर सहारा व्यथा यह तुम्हारे लिए है कहानी तुम्हारे…
बहुत दिनों से तेरा-मेरा रिश्ता तना-तना सम्बंधों के बीच तना है कुहरा घना-घना इन्हें पिघल जाने दें अब तो समय बचा थोड़ा फिर से तार मिलायें दिल के जिसे कभी…
अब किसे क्या प्यार करना कल मेरा मुख पोंछती थी, ले दुपट्टे का किनारा आज बेचा आईने के हाथ कल का सच हमारा क्या भला तुमसे शिकायत, हाँ ये छोटा-सा…
बीती यादों के अनगिन सहारे लिए गीत मैंने लिखे हैं तुम्हारे लिए वो तुम्हारी छुअन का जो अहसास था मिल रही निज धरा से ही आकाश था मांग हमने गगन…
रात हुई तो सूरज निकला मन का सपना है झूठ बड़ा है सच छोटा है वर्षों की उतरन तन से ज़्यादा झेल रहा मन जीवन की सीलन जलकुंभी-सा लिपट रहा…
तुम नदी के उस किनारे, और मैं इस पार बैठा यूँ हमारे बीच कोई खास तो दूरी नहीं है तैरना भी जानता हूँ,यह भी मजबूरी नहीं है नाव है,पतवार है,उद्दिग्न…
षड्-ऋतु विरह कवित्त वसंत पवन मधुर बहे, अली प्रेम राग कहे, राग ये घायल उर व्याकुल बनाते हैं l पोर-पोर नव प्राण, मधुर कोयल गान, सजनी-विछोह में ये मुझे न…
(1) उमर की सीढ़ियाँ चढ़ते मुझे फिर याद आये तुम पुकारा है मुझे फिर से मनोरम झील के तट ने निमंत्रण उँगलियों को फिर दिया उड़ती हुई लट ने कई…
1 मैं भी खुदापरस्त हूँ, मेरे खुदा हो तुम हो प्यार के मसीहा, अहले-वफ़ा हो तुम हैं नाचते अधर पर, तुमसे मिले तरन्नुम तुम मुझमें खो रहे हो, मैं तुममें…