विशिष्ट कवयित्री :: कल्याणी शर्मा

मेरा पहला रिश्ता तुम से ही है मां

  • कल्याणी शर्मा

दूर गई हूँ जब से
तब से ज़्यादा जान पाई हूँ माँ
तुम कितनी
कितनी फ़िक्र करती थीं मेरी
मेरे घर आते वक़्त , जाते वक़्त
सोते वक़्त , उठते वक़्त
मेरी पसंद का खाना बनाने से लेकर
मेरी तारीफ़ों के पुल बाँधने से लेकर
सोते वक़्त
मेरे बालों को सहलाने से लेकर
मुझे लायक बनाने तक …!

बिना किसी चाह वाला
तुम्हारा प्यार !
उफ्फ …निशब्द हूँ मैं
बिल्कुल …
माँ, ऐसी कैसे हो तुम ?
कितना असीम है तुम्हारा प्यार
और मैं ?
कि कतरा भर भी नहीं जान पाई तब !
मेरा पहला रिश्ता
तुम से ही है माँ
और आख़िरी साँस तक रहेगा …

…………………………………………

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *