विशिष्ट ग़ज़लकार :: मधुकर वनमाली

मधुकर वनमाली की तीन ग़ज़लें भारत जनम यह देश की खातिर,हमारी जान है भारत तिरंगा झुक नहीं सकता, हमारी शान है भारत बड़ी मुश्किल से हो पाया,वतन आजाद यह अपना…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: के.पी.अनमोल

के.पी. अनमोल की दो ग़ज़लें 1 है दिल से ये निकलती सदा वन्दे मातरम मेरे वतन, तू मेरी वफ़ा वन्दे मातरम नापाक हौसलों से कहो ख़ैर अब करें अब हमने…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: अनिरुद्ध सिन्हा

अनिरुद्ध सिन्हा की आठ ग़ज़लें 1 बाहर न  आ सकेंगे कभी भेद भाव से रहते नहीं  पड़ोस में जो मेल भाव  से   अपने लिखे को पढ़ न सके एकबार…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: रमेश चन्द्र गोयल ‘प्रसून’

1 आँखों की तस्वीर अलग है आँसू की तस्वीर अलग अपना-अपना हिस्सा सबका है सबकी तक़दीर अलग प्यार किया हो जिसने केवल स्वाद वही जाने इसका होठों की तासीर अलग…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: विजय कुमार स्वर्णकार

1 अपने मित्रों के लेखे- जोखे से हमको अनुभव हुए अनोखे -से हमने बरता है इस ज़माने को तुमने देखा है बस झरोखे से ज़िन्दगी से न यूँ करो बर्ताव…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: रवि खण्डेलवाल

1 कब  तलक   मुर्दा  बने   सोते  रहोगे ज़िंदगी  की   लाश  को   ढोते  रहोगे हाथ पर  धर  हाथ  यदि  बैठे  रहे तो वक़्त  को  यूँ  ही  सदा, खोते  रहोगे दीन दुनिया …

विशिष्ट ग़ज़लकार : प्रसन्नवदन चतुर्वेदी

1 बताना है बहुत मुश्किल कि किसमें क्या निकलता है ? नहीं मासूमियत जिसमें वही बच्चा निकलता है यकीं जिसपर किया करते भला अक्सर नहीं होता, नहीं उम्मीद जिससे की…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: डॉ रोहिताश्व अस्थाना

1 दर्द का इतिहास है हिन्दी ग़ज़ल एक शाश्वत प्यास है हिन्दी ग़ज़ल प्रेम, मदिरा, रूप की बातें भरी अब नहीं बकवास है हिन्दी ग़ज़ल आदमी के साथ नंगे पांव…

विशिष्ट ग़ज़लकार : नीलम श्रीवास्तव

1 हमें अक्सर  ये  दुनिया  अजनबी  मालूम  होती है बड़ी   ही  अनमनी  सी  ज़िंदगी   मालूम  होती  है   तबस्सुम    में  भी  कोई  बेबसी   मालूम  होती  है निगाहों   में   सिसकती …