विशिष्ट कवि :: ब्रज श्रीवास्तव

सबसे पहले माँ ब्रज श्रीवास्तव माँ केवल माँ नहीं है सुखद उपस्थिति है किसी जज़्बात का माँ कोई जन्नत नहीं है वह तो खालिस धरती है धरती पर मौजूद घर…

विशिष्ट कवि :: सुजीत वर्मा

परछाई अंत तो प्रारंभ में है। सहज कर्म यात्रा, द्वंद्व मुक्त नहीं होती। बीज से- फल-फूल। आसमान में छत नहीं, पेड़ के लिए सूरज होता है। पृथ्वी अनंत काल से-…

विशिष्ट कवि :: ब्रज श्रीवास्तव

खराबियां भी कविताओं में आ जातीं हैं खराबियां भी कविताओं में आ जातीं हैं ताकि सनद रहे खराब लोगों की चालाकियां इस तरह आतीं हैं कविताओं में जैसे कोई राक्षसी…

विशिष्ट कवि :: श्यामल श्रीवास्तव

वायरस जानते हो समय भूमंडलीकरण में जितने हम-सब पास-पास आयें थे उतने ही दूर होते जा रहे हैं इंसान अपने हाथों अपनी सभ्यता को नष्ट करने पे तुला है एक…

विशिष्ट कवयित्री : मालिनी गौतम

मालिनी गौतम …………………………………………………..  कहा-अनकहा कुछ आँसू अपने सर्वाधिक प्रिय व्यक्ति से भी छुपा लिए गये, निविड़ अंधकार के प्रगाढ़ क्षणों में अधरों पर फैली हल्की स्मित रेख के पीछे वे…