विशिष्ट कवि :: अरुण शीतांश

चोंप पारिस्थितिकी संतुलन के लिए हर घर मे एक बागीचा चाहिए पेडो़ं में फल हो छोटे पौधों मे फूल रोज़ नई घटना की तरह बना रहे सुंदर पर्यावरण जंगल की…

विशिष्ट कवि : अरविंद भट्ट

चारदीवारी तुम्हारे अपने शहर में, अतिव्यस्त मार्केट की चकाचौंध, और लोगों की रेलमपेल के सहारे आगे बढ़ते, जहाँ सड़क और फुटपाथ के अंतर की सीमा रेखा, शायद अपना अस्तित्व बचाते…

विशिष्ट कवयित्री : कल्पना मनोरमा

अग्निफूल सूरज के अनुभव में चाँद छोटा चाँद के अनुभव में तारा छोटा तारे के अनुभव में जुगनू छोटा और जुगनू भी समझता है छोटा दीपक को लेकिन ज्यादा नहीं…

विशिष्ट कवयित्री : मंजुला उपाध्याय ‘मंजुल’

मिट्टी में जडे़ं कसीदे कारी वाले गमलों में आश्रय देकर इतरा रही है अपनी सम्पन्नता पर तुम्हारी सोच । मेरी हरी भरी डालियां खिला खिला यौवन देखकर तन जाती है…

विशिष्ट कवि : अरविंद भट्ट

चारदीवारी तुम्हारे अपने शहर में, अतिव्यस्त मार्केट की चकाचौंध, और लोगों की रेलमपेल के सहारे आगे बढ़ते, जहाँ सड़क और फुटपाथ के अंतर की सीमा रेखा, शायद अपना अस्तित्व बचाते…

विशिष्ट कवयित्री : डॉ उषा रानी राव

जैसे थामती है हवा सफेद बादलों की कतार में.. नीले सागर के गर्भ में .. पतझड़ के पत्तों के मर्मर में .. चेतन के अचेतन में .. थामते हैं तुम्हारे…