विशिष्ट कवि :: अरुण शीतांश
चोंप पारिस्थितिकी संतुलन के लिए हर घर मे एक बागीचा चाहिए पेडो़ं में फल हो छोटे पौधों मे फूल रोज़ नई घटना की तरह बना रहे सुंदर पर्यावरण जंगल की…
चोंप पारिस्थितिकी संतुलन के लिए हर घर मे एक बागीचा चाहिए पेडो़ं में फल हो छोटे पौधों मे फूल रोज़ नई घटना की तरह बना रहे सुंदर पर्यावरण जंगल की…
चारदीवारी तुम्हारे अपने शहर में, अतिव्यस्त मार्केट की चकाचौंध, और लोगों की रेलमपेल के सहारे आगे बढ़ते, जहाँ सड़क और फुटपाथ के अंतर की सीमा रेखा, शायद अपना अस्तित्व बचाते…
अग्निफूल सूरज के अनुभव में चाँद छोटा चाँद के अनुभव में तारा छोटा तारे के अनुभव में जुगनू छोटा और जुगनू भी समझता है छोटा दीपक को लेकिन ज्यादा नहीं…
मिट्टी में जडे़ं कसीदे कारी वाले गमलों में आश्रय देकर इतरा रही है अपनी सम्पन्नता पर तुम्हारी सोच । मेरी हरी भरी डालियां खिला खिला यौवन देखकर तन जाती है…
चारदीवारी तुम्हारे अपने शहर में, अतिव्यस्त मार्केट की चकाचौंध, और लोगों की रेलमपेल के सहारे आगे बढ़ते, जहाँ सड़क और फुटपाथ के अंतर की सीमा रेखा, शायद अपना अस्तित्व बचाते…
लोग कविता में स्वाद देखते है उस खून को नहीं देखते जो स्याही बनकर टपकता है आँखों से कुछ लोगों को आदत है शब्दों को ईधर उधर करने की ये…
1 ये सड़क कहाँ जाती है इसके उत्तर भी कई हैं और मायने भी कई हैं एक तो यह सड़क कहीं नहीं जाती बस अपने पथिकों का सफर देखती है…
जैसे थामती है हवा सफेद बादलों की कतार में.. नीले सागर के गर्भ में .. पतझड़ के पत्तों के मर्मर में .. चेतन के अचेतन में .. थामते हैं तुम्हारे…
क्या होता है प्रेम ? (अपनी उम्र से पाँच वर्ष बड़ी एक दोस्त से जब मै आठवें का छात्र था।) क्या होता है प्रेम ? मैंने उससे पूछा उसने किताब…
यह जरूरी नहीं जानना यह जरूरी नहीं जानना कि मोर की तड़प को महसूस उमड़ता है बादल या बादल को उमड़ते देख नाचता है मोर यह जरूरी नहीं जानना कि…