विशिष्ट ग़ज़लकार : आलोक श्रीवास्तव
हमन है इश्क़ मस्ताना, हमन को होशियारी क्या, गुज़ारी होशियारी से, जवानी फिर गुज़ारी क्या धुएँ की उम्र कितनी है, घुमड़ना और खो जाना, यही सच्चाई है प्यारे, हमारी क्या,…
हमन है इश्क़ मस्ताना, हमन को होशियारी क्या, गुज़ारी होशियारी से, जवानी फिर गुज़ारी क्या धुएँ की उम्र कितनी है, घुमड़ना और खो जाना, यही सच्चाई है प्यारे, हमारी क्या,…
न नजरें मिली न देखा जी भर यादों में बसी वह हमसफर हर डगर दो कदम जो चले मेरी परछाई वो जुदा जब हुए मेरी तन्हाई वो आंखें जब लगी…
मै उसे कहां ढूंढूं उसने मुझे पोस्टकार्ड पर लिखा सिर्फ मेरे पता के सिवाय कुछ नहीं पोस्टकार्ड पर लगी मुहर भी काफी धुंधली थी जिसे माइक्रो ग्लास से भी नहीं…
प्यार करते हो मुझे तुम तो यही उपहार देना मैं तुम्हारा हो न पाऊँ , फिर भी मुझको प्यार देना तुम अगर मेरे सुहृद हो तो मुझे तुम प्यार करना…
पुलकवाली नींद तुम नदी होते तुम्हीं से कहा करते बात मन की लहर से हम मांग लाते धार पर बहना और उल्टी हवाओं में पांव थिर रखना तुम हवा होते…
साँस रुक सी गयी साँस रुक सी गयी, थम गयीं धड़कनें तुमको देखा तो दिल मुस्कराने लगा। ये निगाहें ठगी -सी रहीं देखती इक अजब -सा नशा मुझपे छाने लगा!!…
मेघ गरजा रात भर है, प्यार सचमुच में अमर है । कौन कहता है विरह में बस धरा दो टूक होती, क्या कहूँ कि नभ-हृदय में पीर कितनी, हूक होती;…
उसकी हँसी उजली- सी उसकी हँसी शब्दों की परिधि में जब समा न सकी नील गगन में चाँद बन गयी उसकी आँखों का खारापन धरती न सोख सकी विशाल सागर…
कमल सुनृत वाजपेयी के काव्य में बसंत ऋतु का चित्रण बहुआयामी प्रतिभा की धनी कवयित्री कमल सुनृत वाजपेयी का जन्म 10 फरवरी, सन् 1947 ई. में यवतमाल (मध्यप्रदेश) में पं.…
वो लक्षमण रेखा खींची थी तुमने.. अपने मधुर सबंधों के लिये… वो आज तक ना लाँध पाई मैं… मगर रूह से रूह के सबंध को भी .. ना नाकार पाई…