विशिष्ट गीतकार : माधवी चौधरी

सखि आया देख बसंत पीत वसन को पहन पधारा लगता प्रिय ज्यों कंत आमों में मँजरिया डोले बागों में कोयलिया बोले मन में उठे उमंग नाचे सकल-दिगंत हे सखि…. भांति…

विशिष्ट गीतकार : गरिमा सक्सेना

पतझर-सा यह जीवन जो था शांत, दुखद, बेहाल उसमें तुम फागुन-सा आकर प्रिय मल गए गुलाल गम को निर्वासित कर तुमने मेरा मोल बताया जो भी था अव्यक्त उसे अभिव्यक्त…

विशिष्ट गीतकार : संजय पंकज

रात चाँदनी चुपके आई खिड़की से सिरहाने में! सुबह सुबह तक रही सुबकती लीन रही दुलराने में! पता नहीं क्यों लापता रही कितने दिन बेगानों-सी इधर रही पर मेरी हालत…

विशिष्ट गीतकार : दरवेश भारती

प्रिये! प्रीत की रीत तुमने न जानी विरह में समय ज्यों गुज़ारा हृदय जानता है हमारा हमेशा उदासीनता ही रही साथ बनकर सहारा व्यथा यह तुम्हारे लिए है कहानी तुम्हारे…

विशिष्ट गीतकार : हरि नारायण सिंह ‘हरि’

बहुत दिनों से तेरा-मेरा रिश्ता तना-तना सम्बंधों के बीच तना है कुहरा घना-घना इन्हें पिघल जाने दें अब तो समय बचा थोड़ा फिर से तार मिलायें दिल के जिसे कभी…

विशिष्ट गीतकार : ईश्वर करुण

अब किसे क्या प्यार करना कल मेरा मुख पोंछती थी, ले दुपट्टे का किनारा आज बेचा आईने के हाथ कल का सच हमारा क्या भला तुमसे शिकायत, हाँ ये छोटा-सा…

विशिष्ट गीतकार : रंजन कुमार झा

बीती यादों के अनगिन सहारे लिए गीत मैंने लिखे हैं तुम्हारे लिए वो तुम्हारी छुअन का जो अहसास था मिल रही निज धरा से ही आकाश था मांग हमने गगन…

विशिष्ट गीतकार : चंद्रेश शेखर

तुम नदी के उस किनारे, और मैं इस पार बैठा यूँ हमारे बीच कोई खास तो दूरी नहीं है तैरना भी जानता हूँ,यह भी मजबूरी नहीं है नाव है,पतवार है,उद्दिग्न…