विशिष्ट ग़ज़लकार :: ममता किरण
“ग़म-ए-दुनिया से गर पाई भी फ़ुरसत सर उठाने की” तो फिर कोशिश करेँगे हम भी कुछ-कुछ मुस्कराने की। बशर के…
“ग़म-ए-दुनिया से गर पाई भी फ़ुरसत सर उठाने की” तो फिर कोशिश करेँगे हम भी कुछ-कुछ मुस्कराने की। बशर के…
हमारा देश 15 अगस्त को अपना 74 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है ।कोविड-19 की इस त्रासदी के बीच मनाया…
देशज” पत्रिका समूह के मंच पर वरिष्ठ साहित्यकार व पत्रकार *अवधेश प्रीत* जी से कुछ रोचक सवाल और उनके तथ्यपूर्ण…
विकास की राह पर भारत भारत एक विकासशील देश है। इस वर्ष भारत ने अपनी स्वतंत्रता के 74 वें वर्ष…
*_वहीं आ जाना_* शब्द ही मेरा घर है सबसे ज्यादा सभी रंगों में मैं वहीं मिलता हूँ तुम भी वहीं…
सभी विवश असहाय एक अजब-सा डर लिखता है रोज़ नया अध्याय जग के सम्मुख खड़ा हुआ है जीवन का संकट…
ऑफिस से थकी हारी निर्मला जैसे ही घर में घुसी तो देखा उसका बेटा श्रेयस मोबाईल से चिपका हुआ है…
पुस्तक – समीक्षा सामाजिक तस्वीरों की ग़ज़लों के ‘ऋषि’ –डॉ. किशन तिवारी पुस्तक – ‘तस्वीर लिख रहा हूँ’ (ग़ज़ल-संग्रह)…
*दरोगा* “साहब हमार रपट लिख लो, हम गरीब बुढि़या एगो गाय पाल के आपन गुजर करती हैं। अऊर उ महेसरा…
“आधुनिक परिप्रेक्ष्य में टैगोर” सत्यम शिवम सुंदरम गुरुवर रवीन्द्र नाथ टैगोर भारतीय सांस्कृतिक विरासत के शाश्र्वत प्रतिनिधि हैं और रहेंगे।…