यथार्थ के प्रकाशित धरातल पर हिन्दी ग़ज़ल : अनिरुद्ध सिन्हा
यथार्थ के प्रकाशित धरातल पर हिन्दी ग़ज़ल – अनिरुद्ध सिन्हा…
यथार्थ के प्रकाशित धरातल पर हिन्दी ग़ज़ल – अनिरुद्ध सिन्हा…
डॉ शांति कुमारी:शिक्षा, सृजन और सरोकार की संवेदना डॉ संजय पंकज ग्रामीण सामाजिकता में पली-बढ़ी कोई स्त्री जब शिक्षा और सृजन के क्षेत्र में आती है तो उसके योगदान महत्वपूर्ण,…
माँ तुम्हारा धन्यवाद… (आद्या भारद्वाज द्वारा अपनी नानी माँ पर लिखा संस्मरण) मैं अपनी नानी माँ डॉ शांति कुमारी को ‘माँ’ कह कर बुलाती थी। घर में सभी लोग उन्हें…
कला का प्रयोजन क्या है – डॉ सतीश कुमार राय अस्टे फिशर ने लिखा है-“कला इसलिए जरुरी है कि…
स्मृतिशेष साहित्यकार डॉ श्रीरंग शाही की जयंती ( 7 फरवरी) पर उनका आलेख श्रीमती चौहान ओज और वीर रस की गायिका थी। आप वीरों का कैसा हो वसंत और झांसी…
डाॅ शान्ति कुमारी यानी संकल्प से सिद्धि तक भावना माँ और बच्चे के बीच में हमेशा दो भाव काम करते हैं ।पहला ‘वानरी भाव’ और दूसरा ‘मार्जारी भाव’। ”बन्दर का…
हिन्दी ग़ज़ल के बढ़ते आयाम”-मूलभूत तथ्यों की पहचान – अनिरुद्ध सिन्हा आधुनिक कवियों ने एक विशेष ढंग से,एक विशेष दिशा में हिन्दी कविता को मोड़ने का प्रयास किया। हिन्दी कविता…
गिरमिटियों के उद्धार में पं. तोताराम सनाढ्य का योगदान डॉ सुभाषिणी लता कुमार पं. तोताराम सनाढ्य ने अपने गिरमिट अनुभव को ‘फीजी द्वीप में मेरे 21 वर्ष’नामक पुस्तक में…
रपट: संगमन-25 कला में लोक और अभिजात्य का द्वंद कमलेश भट्ट कमल वर्ष 1993 में कानपुर से प्रारंभ ‘संगमन’ अपनी अवधारणा में अन्यतम और अनुपम है और कदाचित विश्व…
बिहारी बोलियों की लोक – कथाओं का अध्ययन डाॅ शान्ति कुमारी डॉ ग्रियर्सन ने भोजपुरी और मैथिली का अध्ययन बिहारी भाषा के अंतर्गत किया था । डॉ ० ग्रियर्सन…