‘मौत का उत्सव’ संजीवनी बूटी, बढ़ाएगी प्रतिरोधक क्षमता :: रूपम झा

‘मौत का उत्सव’ संजीवनी बूटी, बढ़ाएगी प्रतिरोधक क्षमता – रूपम झा मौत का उत्सव वरिष्ठ कवि रवि खण्डेलवाल जी रचित एक काव्य संग्रह है जिसे कवि ने कोरोनाकाल की त्रासदी…

पुस्तक समीक्षा :: भागीनथ वाक्ले

ग़जल संस्कृति के संवाहक आर.के. माथुर ‘राजीव’ भागीनथ वाक्ले   मस्जिद में आके देख, इबादत भी है नशा  मयनोश भूल जायेगा, खुद ही शराब को ।   रामपुर रजा लाइब्रेरी…

जीवन का हर मर्म खोलता है दिन कटे हैं धूप चुनते : अनिल कुमार झा

जीवन का हर मर्म खोलता है दिन कटे हैं धूप चुनते – अनिल कुमार झा नवगीत आज किसी परिचय का आश्रय नहीं ढूंढता क्योंकि अपनी बात मजबूती से रखने की…

दोहे : जयप्रकाश मिश्र

सोने जैसी बेटियाँ, भिखमंगें हैं लोग। आया कभी न भूल कर, मधुर-मांगलिक योग।। 11 लिपट तितलियाँ पुष्प से , करती हैं मनुहार। रंगों का दरिया बहे, बरसे अमृतधार।।12 चेहरे से…

विशिष्ट कवि : संतोष श्रेयांस

पुनरावृति एक दुसरे के एहसासों से लदे हम लौट आते हैं हर बार एक दुसरे के पास पहले से लड़ी बड़ी लडाइयों के बावजूद कई दिनों की मुह फुलाई के…

पुस्तक समीक्षा

हिंदी ग़ज़ल का प्रभुत्व यानी हिंदी ग़ज़ल का नया पक्ष – लेखक – अनिरुद्ध सिन्हा/ समीक्षक  – शहंशाह आलम हिंदी ग़ज़ल की आलोचना मेरे ख़्याल से हिंदी साहित्य में उतनी व्यापक अथवा विकसित…