विशिष्ट कवयित्री :: भावना सिन्हा
धान रोपती औरतें धान रोपती औरतें आँचलिक भाषा में गाती हैं जीवन के गीत अवोध शिशु की तरह पुलक उठता है खेत का मन उनके...
विशिष्ट कवि :: भरत प्रसाद
भरत प्रसाद की पांच कविताएं पिता को मुखाग्नि वह सबसे दुश्मन रात थी जब विदा हुए पिता जीवन से बिछी छाया की तरह पड़ा हुआ...
विशिष्ट कवि :: डॉ. अभिषेक कुमार
1. एक औरत दरवाजे से बाहर झांकी औरत को झांकने लगी हजारों निगाहें जो टिकी थी दरवाजे पर ही उन निगाहों में कुछ पहरेदार थे...
विशिष्ट कवि :: डॉ.विमलेंदु सिंह
डॉ. कुमार विमलेन्दु सिंह की चार कविताएं ढेर सारे अक्टूबर मैं अपने ऊपर का आकाश बदल दूंगा अब, छूट जाएंगी बहुत बातें, यहीं रह जाएंगी,...
विशिष्ट कवि :: राइडर राकेश
भादो में भुनेसर राइडर राकेश अंतिम भादो की इस आधी रात टिटहरी के द्रुत-मद्धम ताल के बीच बूंदें उतरने की आवाज़ें आ रही हैं घास,...
विशिष्ट कवयित्री :: लता सिन्हा ज्योतिर्मय
क़लम के सिपाही - लता सिन्हा ज्योतिर्मय बड़ी थी ललक, करुँ देश की सेवा निरंतर हो लग्न एक...
विशिष्ट कवि :: श्रवण कुमार
श्रवण कुमार की तीन कविताएँ सपने आज जबकि पॉश इलाके में रात में ही दिखता है दिन से बेहतर उजाला डोमा पोखर मोहल्ले में जैसे-तैसे...
विशिष्ट कवयित्री :: रानी सुमिता
रानी सुमिता की छह कविताएं : मन के भीतर मन स्त्री के मन के भीतर बसता है एक और मन जैसे शाँत नदी के...
विशिष्ट कवयित्री :: प्रभा मजूमदार
संबल (1) मेरे पास सेनाएँ नहीं संबल है जागीरें, धरोहरें, वसीयतनामे नहीं कुछ संकल्प और स्वप्न हैं खेत खलिहान बाग बगीचे मिल कारखाने उद्योग-तंत्र नहीं...
विशिष्ट कवि :: मणि मोहन
शाम शाम ढ़लते ही अपने घरों की तरफ लौट गए परिंदे आज फिर अपनी परछाईयाँ गिरा गए मेरी छत पर । बिटिया के लिए ज़िन्दगी...