विशिष्ट कवयित्री : अनीता रश्मि
अनीता रशिम की कविताएं चाह अबकी आना लाना संग पलाश, गुलमोहर थोड़ी मिट्टी गाँव की, नदी किनारे का चिकना पत्थर गीली रेत, थोड़ी हवा धूप भी और लाना…
अनीता रशिम की कविताएं चाह अबकी आना लाना संग पलाश, गुलमोहर थोड़ी मिट्टी गाँव की, नदी किनारे का चिकना पत्थर गीली रेत, थोड़ी हवा धूप भी और लाना…
ललन चतुर्वेदी की दस कविताएं देह का अध्यात्म वह सद्यस्नाता स्त्री जिसके कुंतल से टपक रहे हैं बूँद-बूँद जल एक झटके से झाड़कर बाल खड़ी हो गई है आईने के…
अनिता रश्मि की पांच कवितायें चाह अबकी आना लाना संग पलाश, गुलमोहर थोड़ी मिट्टी गाँव की, नदी किनारे का चिकना पत्थर गीली रेत, थोड़ी हवा धूप भी और लाना भर…
सफरनामा कभी कभी मैं जब अपनी प्यास के सफरनामे की पड़ताल करने बैठता हूँ तो मुझे महसूस होता है की इस सफरनामे में मैंने हरिद्वार के पवित्र गंगाजल से लेकर…
सुशील कुमार की सात कविताएं 【1】 पगडंडियों पर चलते हुए मैंने देखा – चरवाहे अपनी गायें चराते गाते जा रहे थे शायद कोई ताजा गीत, हां एक लोकगीत.. ओस से…
प्रमोद झा की चार कवितायें आखिरी चीख पत्थर की जमीन, जंगल के आत्यन्तिक कटने से बेहद आक्रोशित आदिवासी युवक शहरी चाल चरित्र औ चेहरो पर बडे हिकारत के भाव…
नरेश अग्रवाल की दस कवितायें सहारा मां, पिता को एक ताबीज पहना दो अपने हाथों से इससे उनकी आयु सुरक्षित रहेगी जब भी भय सताएगा कोयले की खान में…
निवेदिता झा की तीन कवितायें जब तुम याद आये जब हुई बारिश बहनें लगा शहर के पोर पोर से धूल भरनें लगी नदियाँ सोधीं खुश्बू से भरा मन जब…
ब्रज श्रीवास्तव की पांच कविताएं सच बोला तो.. पहली बार मैंने सच बोला था लोग खुश हुए थे. दूसरी बार बोला तो कानाफूसी हुई तीसरी बार बोला तो मुझे समझाईश…
धान रोपती औरतें धान रोपती औरतें आँचलिक भाषा में गाती हैं जीवन के गीत अवोध शिशु की तरह पुलक उठता है खेत का मन उनके हाथों के स्पर्श से …