क्यों डूब गया सूरज :: चन्द्रशेखर ‘विकल’

क्यों डूब गया सूरज – चन्द्रशेखर’ विकल’ क्यों डूब गया सूरज पसरा अगम अंधेरा शीतल सुवास देकर जाता रहा चितेरा जबतक रहा धरा पर जन मन का प्राण जीवन। हुलस…

एक तारा और टूटा :: रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’

डॉ. श्रीरंग शाही की स्मृति में एक तारा और टूटा – रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’ एक तारा और टूटा फिर। अनमने आकाश का संदर्भ भूला मन। भावना में रूग्ण पंकिल सीप-से…

विशिष्ट कवि :: धर्मपाल महेंद्र जैन

 धर्मपाल महेंद्र जैन की दस कविताएं    खंडित देह जीते हुए अपनी यौन विकृति के दंश मान-अपमान सबको समेटे ग्रंथों में आते हैं वे बुनते हुए ख़ुशियाँ भले ही छोड़नी…

विशिष्ट कवयित्री : अनीता रश्मि

अनीता रशिम की कविताएं   चाह अबकी आना लाना संग पलाश, गुलमोहर थोड़ी मिट्टी गाँव की, नदी किनारे का चिकना पत्थर गीली रेत, थोड़ी हवा धूप भी   और लाना…

विशिष्ट कवि :: ललन चतुर्वेदी

ललन चतुर्वेदी की दस कविताएं  देह का अध्यात्म वह सद्यस्नाता  स्त्री जिसके कुंतल से टपक रहे हैं बूँद-बूँद जल एक झटके से झाड़कर बाल खड़ी हो गई है आईने के…

विशिष्ट कवयित्री :: अनीता रश्मि

अनिता रश्मि की पांच कवितायें चाह अबकी आना लाना संग पलाश, गुलमोहर थोड़ी मिट्टी गाँव की, नदी किनारे का चिकना पत्थर गीली रेत, थोड़ी हवा धूप भी और लाना भर…

विशिष्ट कवि :: डॉ. अभिषेक कुमार

सफरनामा  कभी कभी मैं जब अपनी प्यास के सफरनामे की पड़ताल करने बैठता हूँ तो मुझे महसूस होता है की इस सफरनामे में मैंने हरिद्वार के पवित्र गंगाजल से लेकर…

विशिष्ट कवि :: सुशील कुमार

सुशील कुमार की सात कविताएं 【1】 पगडंडियों पर चलते हुए मैंने देखा – चरवाहे अपनी गायें चराते गाते जा रहे थे शायद कोई ताजा गीत, हां एक लोकगीत.. ओस से…

विशिष्ट कवि :: प्रमोद झा

प्रमोद झा की चार कवितायें   आखिरी चीख पत्थर की जमीन, जंगल के आत्यन्तिक कटने से बेहद आक्रोशित आदिवासी युवक शहरी चाल चरित्र औ चेहरो पर बडे हिकारत के भाव…