हिंदी ग़ज़ल में नदी, पोखर, झील, दरिया और समुन्दर :: डॉ.भावना
हिंदी ग़ज़ल में नदी, पोखर, झील, दरिया और समुन्दर डॉ. भावना जल ही जीवन है। जल के बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। प्रकृति ने हमें झील,…
हिंदी ग़ज़ल में नदी, पोखर, झील, दरिया और समुन्दर डॉ. भावना जल ही जीवन है। जल के बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। प्रकृति ने हमें झील,…
सोनरुपा विशाल की ग़ज़लों में अंदर की बेचैनी …
सुबीर कुमार भट्टाचारजी की तीन कविताएं आनंदमयी माँ द्वारा चोर का हृदय परिवर्तन आनंदमयी माँ जा रही थीं ट्रेन से एक हाथ बाहर था खिड़की के उन्होंने उस हाथ में…
शिक्षा के बाद भी गरीब हाशिये पर आचार्य शीलक राम संसार में पहले भी और अब भी अनेक राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, पंथिक, मजहबी, सुधारवादी, वैज्ञानिक, भक्तिवादी,योगाभ्यास से संबंधित विचारधाराएं, सिद्धांत,वाद,पंथ,मत,…
सुरेश सौरभ की दो लघुकथाएं सूचकांक तीन सौ, ….नहीं चार सौ….. पांच सौ….. वो हजार वाली सामने….छीः छीः कितने गंदे लोग हैं, कोई…
अब मैं बोलूँगी : एक खरी और ज़रूरी किताब शैली बक्षी खड़कोतकर स्मृति आदित्य, मीडिया और साहित्य का सुपरिचित नाम, जब कहती हैं ‘अब मैं बोलूँगी’ तो सुनने वालों को सजग, सतर्क होकर सुनना होगा।…
मैकाउ – सुशांत सुप्रिय प्रिय शेखर , जब भी तुम बहुत याद आते हो , मैं तुम्हें पत्र लिखने बैठ जाती हूँ । लेकिन पत्र वह सब पूरा नहीं कर सकते जिसके लिए तुम्हारे साथ की ज़रूरत होती है । मैकाउ के रंगों वाले तुम्हारे दस्ताने मिल गए हैं , जिन्हें तुम पिछली बार मेरे यहाँ छोड़ आए थे । इस हफ़्ते एक अतिथि…
अमर पंकज की पांच ग़ज़लें 1 मुश्किल था पूरा सच लिखना तो आधा हर बार लिखा, ज़हर पिया मैंने नित लेकिन सुंदर है संसार लिखा। शीश उठाकर जी ले निर्बल…
राहुल शिवाय के पांच गीत मन के पाँव आँगन तक बढ़कर कोहवर को लौट गये मेरे मन के पाँव बड़े नखरीले हैं धीरे-धीरे फगुनाहट चढ़ आएगी मन की कोयलिया भी…
राजेंद्र ओझा की चार कविताएं लाचार हर बार जब वह उड़ने को होता और सोचता कि चलो कुछ दाने चुग आए उसके सामने दाने फेंक दिए जाते। उसे यह अच्छा…