बिखरती सद्भावनाओं को समेटती लघुकथाएं : शिव सिंह सागर
बिखरती सद्भावनाओं को समेटती लघुकथाएं -शिव सिंह ‘सागर‘ लघुकथा की दुनिया में सुरेश सौरभ पुराना और प्रतिष्ठित नाम है। मुझे इन दिनों उनके संपादन में संपादित लघुकथा का साझा…
बिखरती सद्भावनाओं को समेटती लघुकथाएं -शिव सिंह ‘सागर‘ लघुकथा की दुनिया में सुरेश सौरभ पुराना और प्रतिष्ठित नाम है। मुझे इन दिनों उनके संपादन में संपादित लघुकथा का साझा…
अनीता रशिम की कविताएं चाह अबकी आना लाना संग पलाश, गुलमोहर थोड़ी मिट्टी गाँव की, नदी किनारे का चिकना पत्थर गीली रेत, थोड़ी हवा धूप भी और लाना…
मृत्युंजया – प्रतिभा चौहान पहली मुलाकात के चंद महीनों बाद …एक जाड़े की अंधेरी रात; वैभवी बड़े बड़े कदमों से भागी थी, डर…
स्मृतियों की असाधारण संवेदना – रेखा भाटिया विशिष्ट लेखक पंकज सुबीर का लघु खण्ड काव्य ‘देह-गाथा’ अभी हाल…
जीवन की सार्थक फिलसफी से रूबरू – जसविन्दर कौर बिन्द्रा पारुल सिंह मूलतः एक कवियत्री है, यह बात उसके पुस्तक…
हिंदी ग़ज़ल के साक्षी में जन चेतना की ग़ज़लें – अमित…
यथार्थ के प्रकाशित धरातल पर हिन्दी ग़ज़ल – अनिरुद्ध सिन्हा…
आशा पाण्डेय ओझा ‘आशा’ की पांच ग़ज़लें 1 कौनसी क़िताब है सांस-सांस ज़िंदगी ढूँढती ज़वाब है सांस-सांस ज़िंदगी किस तरफ़ घटे-बढ़े, चल सका पता नहीं कौनसा हिसाब है सांस-सांस…
अवनीश त्रिपाठी के आठ गीत कब तक अपने दोष मढोगे कब तक अपने दोष मढोगे दूजे के ऊपर प्रायश्चित का जिम्मा अपने भी सर लो बाबू! सदा मीडिया…
रेत की तरह फिसल जाये उम्मीद : शबनम सिन्हा चिलचिलाती धूप में टपकते पसीने के बाद भी आगे बढ़ते कदम इस उम्मीद के साथ कि पेट भरने के लिये हो…