अविभाजित भारत का पहला कृषि अनुसंधानशाला पूसा :: वीरेन नंदा

अविभाजित भारत का पहला कृषि अनुसंधानशाला पूसा  – वीरेन नंदा बिहार के मुजफ्फरपुर से तीस किलोमीटर दूर पूसा में किलानुमा हवेली हुआ करता था। पूसा अब समस्तीपुर जिला के अंतर्गत…

संस्मरण बेनीपुर की :: बिभेष त्रिवेदी

गेहूं रहा न गुलाब  23 दिसंबर 2024 को बेनीपुर से लौटकर – बिभेष त्रिवेदी इस बार हम लौटने के समय बेनीपुर पहुंचे। मुजफ्फरपुर -सीतामढ़ी रोड में जनाढ़ चौक से पूरब…

खास कलम :: मोनिका सक्सेना

दोहे दूषित जल से हो रहा, मानव जीवन त्रस्त। हर प्राणी अब हो गया, रोग, व्याधि से ग्रस्त।। नारे, भाषण से नहीं, होगा विकसित देश। साथ कर्म भी चाहिए, बदलेगा…

विशिष्ट कहानीकार :: धर्मेंद्र कुमार

  बिछुड़न धर्मेंद्र कुमार छोटका बाबा के दरवाजे़ पर गुलबिया तब से थी जब मैं पैदा भी नहीं हुआ था। चौड़ा शरीर, बड़ा-सा मुँह, मुँह में जाब और लंबी पूँछ…

विशिष्ट गीतकार :: यश मालवीय

यश मालवीय के पांच गीत शरद का एक गीत हंसी की चिठ्ठी ना आई,आई है पूनम साँसों घुला शरद शहदीला बर्फ़ानी मौसम गर्म पुलोवर के भीतर भी कितने भीगे हम…

विशिष्ट गजलकार:: अभिषेक कुमार सिंह

अभिषेक कुमार सिंह की पाँच ग़ज़लें 1. माँ की जब भी शॉल डाली जाएगी सर्दियों की चोट खाली जाएगी हम मजूरों को ठिठुरना है सदा हाँ ! कभी बीड़ी जला…

ख़ास कलम :: पवन कुमार

पवन कुमार की तीन कविताएं मजदूरों की रामकहानी मज़दूरो की रामकहानी तुमसे नही सुनी जाएगी   तुम हो राजा राजमहल के सुख ,वैभव में जीने वाले प्यास भला क्या पहचानोगे…

ज़िन्दगी जितना सिखा नहीं पाती /हादसे उतना सिखा देते हैं :: डॉ.भावना

ज़िन्दगी जितना सिखा नहीं पाती /हादसे उतना सिखा देते हैं डॉ.भावना समझ में नहीं आ रहा कि कहाँ से शुरू करूँ? मेरी एक ग़ज़ल का शेर है – जिन्दगी जितना…

विशिष्ट गीतकार : डॉ मंजू लता श्रीवास्तव

डॉ. मंजू लता श्रीवास्तव के पांच गीत  समय निरुत्तर समय निरुत्तर व्यक्ति निरुत्तर उत्तर नहीं किसी के पास जीवन की अनबूझ पहेली डिगा रही मन का विश्वास कटे पंख फिर…