ख़ास कलम :: शुभा मिश्रा
शुभा मिश्रा की दो कविताएं निर्वासन कवियों लेखकों के साये में पली- बढ़ी मैं कल इनसे अलग होकर जीऊँ सोचकर ही कॉंप जाती हूँ...
ख़ास कलम :: डॉ अफरोज आलम
ग़ज़ल चंद टूटे हुए बिखरे हुए ख़्वाबों के सिवा कुछ नहीं अब मेरे दामन में शरारों के सिवा दिल सुलगता है मेरा, शोला बयानी से...
ख़ास कलम :: सुमन आशीष
सुमन आशीष की तीन ग़ज़लें 1 तितलियाँ, तोते,गिलहरी यार थे बचपने के ये मेरे संसार थे आम बरगद नीम से थी दोस्ती चाँद-सूरज ख़ास रिश्तेदार...
ख़ास कलम :: दिनेश बाबा
अंगिका दोहा दिनेश बाबा बाबा खल के दोसती, दुक्खे दै के जाय। बदमाशी आँखें करै,देह कुटम्मस खाय।। प्रेम आरु गाढ़ो हुवै,बाढ़ै जब बिलगाव। भाँसै तेजी...
ख़ास कलम :: डॉ शिप्रा मिश्रा
आज भी - डॉ शिप्रा मिश्रा आज भी.. देखा मैंने उसे पानी में खालिश नमक डाल कर उसने मिटाई अपनी भूख आज भी-- खाता...
ख़ास कलम :: निहाल सिंह
आजाद परिन्दे निहाल सिंह उड़ते रहते हैं आजाद परिन्दे बेखोफ नीले गगन में जहाँ ना कोई सरहद है, ना कोई बंधन है धरा के इंसान...
ख़ास कलम :: दीप शिखा
दीपशिखा की ग़ज़लें 1 कष्ट ये दाल रोटी का जाता नहीं , पेट खाली हो गर कुछ भी भाता नहीं। मीर भी इस ज़माने में...
ख़ास कलम :: डाॅ. अफ़रोज़ आलम
ग़ज़ल क्या अजब लुत्फ़ मुझे सब्र के फल में आए जैसे नुज़हत कोई रुक-रुक के महल में आए हाय वो इश्क़ की नैरंग-ए-तमन्ना मत पूछ...
ख़ास कलम :: सविता राज
हर घर तिरंगा फहराया - सविता राज तिरंगा प्यारा हर घर लहराया, आजादी का...
ख़ास कलम :: हेमा सिंह
देश भक्ति गीत - हेमा सिंह हम रहे न रहे देश मेरा रहे ! यूँ ही आबाद मेरा तिरंगा रहे! जान है, शान है देश...