समकालीन कविता में रश्मिरेखा ने बनायी थी विशिष्ट पहचान :: चितरंजन
समकालीन कविता में रश्मिरेखा ने बनायी थी विशिष्ट पहचान :: चितरंजन एकांत में जीवन की तलाश जोखिम भरा कार्य है. यह तलाश तब और कठिन हो जाती है, जब हमारी…
समकालीन कविता में रश्मिरेखा ने बनायी थी विशिष्ट पहचान :: चितरंजन एकांत में जीवन की तलाश जोखिम भरा कार्य है. यह तलाश तब और कठिन हो जाती है, जब हमारी…
रचनाकार स्मरणः ‘अंधेरे में रोशनी की सेंध’ की कवयित्री “रश्मिरेखा का नाम समकालीन साहित्य के पाठकों के लिए अपरिचित नहीं है। उनकी टिप्पणियाँ और कविताएँ लगातार पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती…
समय के निशान एक अर्से बाद जब तुम्हारे अक्षरों से मुलाक़ात हुई वे वैसे नहीं लगे जैसे वे मेरे पास हैं भविष्य के सपने देखते मेरे अक्षर भी तो रोशनी…
मनोरंजन : ध्वनि और छवियों का बाजार और मीडिया आज मनोरंजन एक उद्योग है जो हम तक ध्वनि और आभासी छवियों के बाजार के रूप में पहुंचता है। अब हम…
सब्ज़ी मेकर इस दीपावली वह पहली बार अकेली खाना बना रही थी। सब्ज़ी बिगड़ जाने के डर से मध्यम आंच पर कड़ाही में रखे तेल की गर्माहट के साथ उसके…
ऐसी ही होती हैं माँ… एक दंपत्ति दीपावली की ख़रीदारी करने को हड़बड़ी में था। पति ने पत्नी से कहा, ज़ल्दी करो, मेरे पास टाईम नहीं है। कह कर कमरे…
समालोचना के निकष पर ग्यारह ग़ज़लकार: विमर्श के बहाने – के. पी. अनमोल पिछले अनेक सालों से ज़हीर क़ुरैशी हिन्दी ग़ज़ल के प्रवक्ता ग़ज़लकार रहे हैं, इस बात पर कोई…
1 इन ग़रीबों के लिए घर कब बनेंगे तोड़ दें शीशे, वो पत्थर कब बनेंगे कब बनेंगे ख़्वाब जो सच हो सकें और चिड़ियों के लिए पर कब बनेंगे बन…
मेरे मन में कौंधते हैं मेरे मन में कौंधते हैं कुछ सवाल कि लोग क्या सोचते हैं? मेरे बारे में! मुझसे क्या अपेक्षाएं क्या आशाएं हैं उनको क्यों समझ नहीं…
(1) प्रिये तुम्हारी आँखों ने कल दिल का हर पन्ना खोला था दिल से दिल के संदेशे सब होठों से तुमने लौटाये प्रेम सिंधु में उठी लहर जो कब तक…