विशिष्ट कहानीकार :: रूबी भूषण

अनसुलझी व्यथा रूबी भूषण नारी को हमेशा मजबूत पक्ष के रूप में दर्शाया जाता रहा है या फिर बिल्कुल दबी-कुचली दुःख से पीड़ित समाज द्वारा प्रताड़ित। साथ ही उन्हें कई…

समाज व साहित्य को नवीन दिशा में ले जाती गुलाबी गलियाँ :: विनोद शर्मा ‘सागर’

समाज व साहित्य को नवीन दिशा में ले जाती गुलाबी गलियाँ -विनोद शर्मा ’सागर’ आजादी की पौन सदी व्यतीत हो चुकी है। हम आजादी का अमृत महोत्सव बड़े गर्व से…

संगमन :: कला में लोक और अभिजात्य का द्वंद

रपट: संगमन-25  कला में लोक और अभिजात्य का द्वंद कमलेश भट्ट कमल  ‌ वर्ष 1993 में कानपुर से प्रारंभ ‘संगमन’ अपनी अवधारणा में अन्यतम और अनुपम है और कदाचित विश्व…

बिहारी बोलियों की लोक – कथाओं का अध्ययन :: डॉ.शांति कुमारी

बिहारी बोलियों की लोक – कथाओं का अध्ययन डाॅ शान्ति कुमारी   डॉ ग्रियर्सन ने भोजपुरी और मैथिली का अध्ययन बिहारी भाषा के अंतर्गत किया था । डॉ ० ग्रियर्सन…

विशिष्ट कवि :: सुशील कुमार

सुशील कुमार की सात कविताएं 【1】 पगडंडियों पर चलते हुए मैंने देखा – चरवाहे अपनी गायें चराते गाते जा रहे थे शायद कोई ताजा गीत, हां एक लोकगीत.. ओस से…

इशारों में बात करती है ‘चाक पर घूमती रही मिट्टी’ :: संजय कुमार कुंदन

उम्र भर हम सफर में भटकते रहे… अभी मौजूदा शायरी (मैं उर्दू और हिंदी गजलों के विवाद में पड़ना नहीं  चाहता) के दौर में मुशायरों में धीरे-धीरे संजीदगी से अपनी…

विशिष्ट गीतकार :: दिनेश प्रभात

दिनेश प्रभात के चार गीत शर्माने में सूद आँगन जैसे युवा हो गया, देहरी हुई जवान फागुन  में  गूँगी  दीवारें,  देने  लगीं  बयान   मौसम ने कुछ गीत रचे हैं…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: सुशील साहिल

सुशील साहिल की पांच ग़ज़लें 1 चराग़े-ज़ीस्त का साया सफ़र में निकला है मेरे वजूद का आधा सफ़र में निकला है   नज़र से खींच के तूफ़ाँ की सारी तस्वीरें…