पुस्तक समीक्षा : वो पता ढूंढें हमारा (ग़ज़ल संग्रह) – जीवन सिंह

मुसीबत में ईमान की रक्षा करने वाली ग़ज़लें – जीवन सिंह जब से दुष्यंत कुमार ने ग़ज़ल को उसकी अपनी पारंपरिक चौहद्दियों से बाहर निकालकर उसे जिन्दगी के बड़े और…

ग़ज़लकार डॉ अनिरुद्ध सिन्हा से  कुसुमलता सिंह की बातचीत

प्रश्न –आप पिछले कई दशकों से रचनकर्म से जुड़े कवि,कथाकार आलोचक हैं । इधर कुछ वर्षों में आपने हिन्दी ग़ज़ल की दुनिया में मजबूत पहचान बनाई है । आपमें बहुमुखी…

लघुकथा : अरविंद भट्ट

अरविंद भट्ट की दो लघुकथाएं   रोटी एक तो दिल्ली की जून की तपती, दहकती दोपहरी और शरीर को तंदूर की तरह सेंके जा रही लू और दूसरा  भट्टी बनी…

 विशिष्ट गीतकार : वशिष्ठ अनूप

कल एक नर्स की मासूम बच्ची और एक पुलिस के मासूम बच्चे को माता-पिता के लिए तड़पते देखकर मन बहुत भावुक हो गया।महामारी से लड़ रहे ऐसे सभी डाक्टरों, नर्सों,…

‘समाजवाद या बर्बरतावाद : मार्क्सवाद का द्वंद्वात्मक अंतर्विरोध’ : डॉ संजीव जैन

‘समाजवाद या बर्बरतावाद : मार्क्सवाद का द्वंद्वात्मक अंतर्विरोध’ रोजा लक्जमबर्ग ने मार्क्स के अध्ययन और पूंजीवादी व्यवस्था या उत्पादन पद्धति के उनके विश्लेषण के परिणामों पर लिखते हुए यह टिप्पणी…