खास कलम : लकी निमेष
1 अगर जो गाँव को छोडूँ तो बस्ती रूठ जाती है अगर मैं शहर ना जाऊँ तरक्की रूठ जाती है मुहब्बत में शिकायत का अलग अपना मज़ा देखा मुझे जब…
1 अगर जो गाँव को छोडूँ तो बस्ती रूठ जाती है अगर मैं शहर ना जाऊँ तरक्की रूठ जाती है मुहब्बत में शिकायत का अलग अपना मज़ा देखा मुझे जब…
धीमी-धीमी आंच में पका साहित्य देश में बहुत कम पत्रिकाएं होती हैं जो अपने नाम को सार्थक करती हैं. सौभाग्य से यह श्रेय जिस पत्रिका को हासिल है, वह है…
ग़ज़ल की भाषा, ख़याल और कहन के सन्दर्भ में ग़ज़ल एक ऐसी विधा है, जो सदियों से कही/लिखी जा रही है। अरबी, फारसी, उर्दू से होते हुए हिन्दी और विश्व…
धीमी-धीमी आंच में पका साहित्य देश में बहुत कम पत्रिकाएं होती हैं जो अपने नाम को सार्थक करती हैं. सौभाग्य से यह श्रेय जिस पत्रिका को हासिल है, वह है…
हमारे समय का सांड़ चारा की तलाश में गायब हुआ सांड लौट आया है सब अचरज में हैं उसे देखकर मौन है, शांत चित्त होकर देख रहा है बच्चे चिंता…
मानवीय संवेदना के रस से युक्त”अभी तुम इश्क़ में हो” छंदमुक्त कविता के जिस दौर में लोग मांग के अनुसार कविता लिख रहे हों, उस दौर में अगर कोई अपने…
1 बनावट की हँसी अधरों पे ज़्यादा कब ठहरती है छुपाओ लाख सच्चाई निगाहों से झलकती है कभी जब हँस के लूटा था तो बिल्कुल बेख़बर था मैं मगर वो…
हिस्टीरिया और हेल्थ पेपर्स ‘दुनिया डोल रही है, आकाश डोल रहा है, पृथ्वी अपनी धुरी से कुछ दूर छिटक गयी है शायद, एक तेज़ आंधी चल रही है समूचे ब्रह्माण्ड…
तुम मिले तुम मिले तो मिट गई है पीर इस तन की चढ़ गई है होठ पर अब बांसुरी मन की हम खड़े थे कबसे इस क्षण की प्रतीक्षा में…