हजारों अनाथ बच्चों  की मां सिंधु ताई :: हेमलता म्हस्के

हजारों अनाथ बच्चों  की मां सिंधु ताई हेमलता म्हस्के अपने ही दुख दर्द में खुद को डुबोए रखोगे तो बहुत कोशिश के बाद भी तुम्हारी जिंदगी नहीं बचेगी और अगर…

विशिष्ट गीतकार :: कुँअर उदय सिंह अनुज

1 सूरज तो उगता है लेकिन, घर में नहीं उजाले हैं।   उन लोगों के नहीं फिरे दिन, रहे लगाते जो नारे। चूल्हा बुझा-बुझा है गुमसुम, पेट जल रहे अंगारे।…

खास कलम :: विनय

सृजन भ्रम बुझी-बुझी आँखों और ऐंठती अँतड़ियों को जब गटक जाता है भूख का प्रचंड दानव तो हमारी बर्फ हो चुकी संवेदना पिघल-पिघल कर बिखेरने लगती है कागज की सुफेद…

विशिष्ट कवि :: ब्रज श्रीवास्तव

खराबियां भी कविताओं में आ जातीं हैं खराबियां भी कविताओं में आ जातीं हैं ताकि सनद रहे खराब लोगों की चालाकियां इस तरह आतीं हैं कविताओं में जैसे कोई राक्षसी…

साहित्यिक छल-छद्म से हमेशा अलग रहे रेणु :: डॉ. रामवचन राय

साहित्यिक छल-छद्म से हमेशा अलग रहे रेणु डॉ.रामवचन राय रेणु जी नहीं रहे, मन यह मानने को तैयार नहीं होता। जो लोग उन्हें जानते हैं, उनके नहीं रहने की सच्चाई…

अपनी राह स्वयं बनाता : रथ के धूल भरे पाँव :: नीरज नीर

अपनी राह स्वयं बनाता : रथ के धूल भरे पाँव नीरज नीर प्रांजल भाषा और शब्दज्ञान के धनी अजित राय की कविताओं से गुजरते हुए यह निःसंदेह ज्ञात होता है…

पिघलता हिमालय और सूखता भारत :: मधुकर वनमाली

पिघलता हिमालय और सूखता भारत        मधुकर वनमाली भारतवर्ष भागीरथ का देश है। हिमालय और गंगा का भी। जल से पूरित भूमि। नदियों को यहां माता का दर्जा दिया गया है।…

विशिष्ट कहानीकार :: विनीता परमार

पानी पर पाँव विनीता परमार उसे बचपन से ही पानी से लगाव था। घंटों खड़े होकर पानी का बहना देख सकती थी। नदी के किनारे बैठ जाती फिर किसी से…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: अखिल भंडारी

1 तन्हाइयों की हद से गुज़रना पड़ा मुझे इक अजनबी का साथ भी अच्छा लगा मुझे   अच्छे दिनों की आस भी क्या दिल फ़रेब थी जीना बड़ा मुहाल था…