साये में धूप’ के पचास साल और दुष्यंत कुमार की ग़ज़लधर्मिता : डॉ.अविनाश भारती

साये में धूप’ के पचास साल और दुष्यंत कुमार की ग़ज़लधर्मिता डॉ. अविनाश भारती दुष्यंत कुमार की कालजयी कृति ‘साये  में धूप’ के प्रकाशन के पचास वर्ष पूरे हो चुके…

विशिष्ट कवि : दुष्यंत कुमार

दुष्यंत कुमार की दो कविताएं   गांधी के जन्म दिन पर मैं फिर जन्म लूंगा फिर मैं इसी तरह आऊंगा उचटती निगाहों की भीड़ में अभावों के बीच लोगों की…

विशिष्ट ग़ज़लकार : दुष्यंत कुमार

दुष्यंत कुमार की दस ग़ज़लें : 1 मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ, वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ।   एक जंगल है तेरी आँखों में, मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ।  …

दुष्यंत के सीने में जलती आग : डॉ अभिषेक कुमार

दुष्यंत के सीने में जलती आग  डॉ अभिषेक कुमार   अगर वास्तव में तुम दुष्यंत के सीने में जलती आग को महसूस करना चाहते हो तो कभी जाकर देखो उस…

दुष्यंत की कविता : डॉ. पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’

दुष्यंत की कविता हिन्दी ग़ज़ल के स्थापक दुष्यंत कुमार अपने समकालीन साहित्यकारों के बारे में भी कविताएं लिखा करते थे, आज वे रचनाएं महत्त्वपूर्ण साहित्यिक दस्तावेज हैं । जिनके माध्यम…

‘साये में धूप’में अभिव्यक्त दुष्यंत कुमार की सामाजिक चेतना : वेदप्रकाश भारती

‘साये में धूप’में अभिव्यक्त दुष्यंत कुमार की सामाजिक चेतना वेदप्रकाश भारती दुष्यंत कुमार, जिनका नाम हिंदी गजल के प्रथम गजलकार के रूप में जाना जाता है। जिन्होंने गजल को रोमानियत…

दुष्यंत कुमार की समसामयिकता : राजेन्द्र राज

दुष्यंत कुमार की समसामयिकता  राजेन्द्र राज 1975 में ‘साए में धूप‘ ग़ज़ल-संग्रह से दुष्यंत कुमार लोकप्रियता की मुकाम पर पहुंचे और आम लोगों ने उनकी सामाजिक चेतना तथा आंदोलनात्मकता को…