कल्पना पांडेय की चार कविताएं
लाल दुख.. दुःख तो हमेशा से ही सदाबहार रहा है पर उसमें खिलने वाले फूल …. वो फूल… जो किसी स्त्री की देह के लिए ही खिलते हैं निश्चित ही….…
लाल दुख.. दुःख तो हमेशा से ही सदाबहार रहा है पर उसमें खिलने वाले फूल …. वो फूल… जो किसी स्त्री की देह के लिए ही खिलते हैं निश्चित ही….…
परिचय – कविता एवं कहानी लेखन- ललन टॉप कहानी लेखन प्रतियोगीता में प्रथम पुरस्कार दिल्ली के एक स्कूल मे शिक्षक