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Category: खास कलम –

कल्पना पांडेय की चार कविताएं
खास कलम -

कल्पना पांडेय की चार कविताएं

September 3, 2017

लाल दुख.. दुःख तो हमेशा से ही सदाबहार रहा है पर उसमें खिलने वाले फूल  …. वो फूल… जो किसी स्त्री की देह के लिए ही खिलते हैं निश्चित ही….…

खास कलम : कैफ़ी हाश्मी
खास कलम -, ग़ज़ल - विशिष्ट ग़ज़लकार

खास कलम : कैफ़ी हाश्मी

August 2, 2017

परिचय – कविता एवं कहानी लेखन- ललन टॉप कहानी लेखन प्रतियोगीता में प्रथम पुरस्कार दिल्ली के एक स्कूल मे शिक्षक

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संपादकीय

संपादकीय –

 

संपादकीय –

छीनता हो स्वत्व कोई और तू /त्याग तप से काम ले यह पाप है

22 अप्रैल 2025 भारतीय इतिहास में एक काला दिन के रूप में दर्ज हो गया है। अनंत नाग जिले के पहलगाम में एक आतंकी हमले में 26 पर्यटक मारे गए और करीबन 20 से अधिक घायल हुए। हमलावरों ने पर्यटकों को गोली मारने से पहले उनके नाम और धर्म पूछे। कलमा पढ़वाया। आश्चर्यजनक बात यह भी कि आतंकवादियों ने चुन चुन कर सिर्फ हिंदू पुरुष को मारा एवं महिलाओं से कहा कि उन्हें सिर्फ इसलिए छोड़ा जा रहा है ताकि अपने प्रधानमंत्री से सवाल पूछ सके! इतना कुछ होने के बावजूद कोई देश अगर चुप बैठता है तो वह जनता के विश्वास के साथ धोखा है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के द्वारा यह संदेश दे दिया है कि भारत आतंकवाद से निपटने के लिए कृत संकल्पित है। भारत के पास कर्नल सोफिया कुरेशी एवं विंग कमांडर व्योमिका सिंह जैसी जांबाज महिला सैन्य अधिकारी हैं, जो सिंदूर छीनने वालों को सजा देना जानती हैं। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने प्रत्येक भारतीयों को गौरवान्वित होने का मौका दिया है ।
कुरुक्षेत्र के द्वितीय सर्ग में महाकवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा है- छीनता हो स्वत्व कोई और तू/ त्याग तप से काम ले यह पाप है/ पुण्य है विच्छिन्न कर देना उसे/ बढ़ रहा तेरी तरफ जो हाथ है ।खुशी की बात यह है कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पूरे विश्व ने देखा है।भारत की सैन्य शक्ति को समझा है । हमें अपने सैनिकों पर गर्व है। हम उन्हें दिल से सलाम करते हैं। हमारी रात की नींद और दिन का चैन उनकी बदौलत है। पर, लोगों का क्या है ?हर समय में कुछ लोग अच्छे तथा कुछ बुरे होते हैं। सोशल साइट्स पर कोई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए सरकार को बधाई दे रहा था तो कोई ‘सिंदूर’ नाम रखने पर पितृ सत्तात्मक सोच की दुहाई दे रहा था ।देश जब विपरीत परिस्थिति से सामना कर रहा हो ,तब इस तरह की बातें मन को विचलित करती हैं। इससे बचा जाना चाहिए था। हमें सैनिकों का हौसलाअफजाई करना चाहिए था न कि आपसी छीटाकशीं। राष्ट्र सर्वोपरि है। सोशल साइट्स पर की गई बचकाना बातें बुद्धिजीवी की गरिमा के विरुद्ध ही कही जाएगी।
जय हिन्द। जय हिन्द की सेना।
– भावना

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आंच व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है. इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं. लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक महीने की एक तारीख को प्रकाशित की जाती है. कृपया रचनाएं इमेल पर भेजें. रचनाओं के मौलिक व किसी अंतरजाल पर प्रकाशित नहीं होने का प्रमाण भी संलग्न करें.
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