खास कलम : अंजनी कुमार सुमन

1
ये है मेरा ये है तेरा को किनारा रखना
मेरा भारत तो हमारा था हमारा रखना
कहा इकबाल ने सारे जहाँ से अच्छा था
हमारे देश को वैसा ही दुबारा रखना
किसी भी मुल्क में होता नहीं ऐसा यारों
सभी जातों सभी धर्मों को दुलारा रखना
हटा दो देश के ऊपर घिरे सितारों को
जरूरी क्या है सितारे को सितारा रखना
यहाँ सापों को भी मेहमान हम बनाते हैं
हमें आता है सपेरे सा पिटारा रखना
2
हवा पर गर हवा दोगे तो फुग्गा फूट जाता है
कई सपनों के आने से भी सपना टूट जाता है
सफर में जिन्दगी के भी सफर सा ही तो आलम है
जो अगला रास्ता ढूँढ़ो तो पिछला छूट जाता है
सुना है अब भी जाती है बँधाई देश में राखी
यहाँ कैसे कोई बहनों की ईज्जत लूट जाता है
हैं नंगे पाँव वाले ही मिला करते हैं खेतों में
मगर मंडी तलक तो रंग बिरंगा बूट जाता है
मेरा दिल आइने सा सच कहा करने का आदी है
इसी कारण किसी पत्थर से लगकर टूट जाता है
3
मन से मिटता प्यार भी तो कम नहीं है
दुश्मनों का वार भी तो कम नहीं है
इस तरफ उन्माद कुछ ज्यादा हुआ है
उस तरफ ललकार भी तो कम नहीं है
मानते हैं दिल बहुत अब टूटते हैं
प्यार का इजहार भी तो कम नहीं है
ज्ञान बच्चों में दिखे बूढ़ों के जैसे
आजकल संचार भी तो कम नहीं है
है नहीं दौलत का कारोबार अपना
शब्द का व्यापार भी तो कम नहीं है
4
ये शासकों की सलाह है साहब
सवाल करना गुनाह है साहब
जिसे हैं सरगम समझ के बैठे
वो आमजन की कराह है साहब
कहो गुलिस्तां का क्या करोगे
इसी पे सबकी निगाह है साहब
न अब चलाओ जुबानी बारिश
किसान सच में तबाह है साहब
न कम से कम तो पगार दे दो
दो बेटियों का विवाह है साहब
……………………………………………………………………………………….
परिचय : अंजनी कुमार सुमन की कई ग़ज़लें पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है
संपर्क : बाग नौलक्खा, सफियाबाद, मुंगेर-811214 (बिहार)

One thought on “खास कलम : अंजनी कुमार सुमन

  1. साहित्य की वासंती गंध से सुवासित मीठी नवीन ‘आँच’ के लिए बधाई।।
    एवं आभार सहित अभिनन्दन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *