खास कलम : गुंजन गुप्ता
हाइकु
धनतेरस
धन बरसाये व
लाये खुशियाँ ॥
धन्वंतरि दें
आशीष मिटे रोग
रहें आरोग्य ॥
दीपावली में
लक्ष्मी गणेश संग
विराजें घर ॥
धन दे लक्ष्मी
गणेश जी मंगल
करे सबका ॥
ये अमावस
दूर करे कालिमा
निज मन का ॥
दीप जलाओ
मिट जाए अँधेरा
निर्धन का भी ॥
सड़कों पर
रोते बच्चों को भी दो
दिल से भेंट ॥
मत जलाओ
पटाखे बचा लो ये
पर्यावरण ॥
गोवर्धन की
पूजा से होगी रक्षा
परिवार की ॥
यम-यमी सा
भाई- बहन का हो
प्यार अमर ॥
यमुना नदी
स्नान से हों अमर
भाई बहन ॥
छठी माँ देवें
आशीष हो अमर
सुहाग मेरा ॥
हे छठी मैया
गोद भरो सबकी
खेले ललना ॥
गीत
सरस प्रतीक्षा रहती है प्रिय,
कब तुम पास मेरे होगे..?
सागर के तट पर पाहुन, जब जी भर तुझे निहारा करते
तुम हृदय के राग छेड़ते और गाते मोहक स्वर में
मैं व्रीड़ा के अवगुंठन में, मुस्काती मन ही मन में।
ऐसी सुन्दर ध्वनियों का कब कलनाद मुझे दोगे?
सरस प्रतीक्षा रहती है प्रिय,
कब तुम पास मेरे होगे…?
सर्द हवाएँ तन को मेरे, छूकर जब फिर उड़ जाती
तेरी बाँहों में छुपकर के, बेसुध सी मैं हो जाती,
खो जाती एक मधुर स्वप्न में, मन की सभी उमंगे लेकर
ऐसे शतदल स्वप्नों का कब वरदान मुझे दोगे?
सरस प्रतीक्षा रहती है प्रिय,
कब तुम पास मेरे होगे…?
जब धवल चांदनी रातों में, बेकल सी तुझे निहारती
झर-झर झरती हिम चांदनी रातों को, निज नयनों में ही समेटती
शीतल फागों का प्याला मादक नयनों में भरकर, जब तेरी ओर उड़ेलती।
ऐसे मादकता वाले क्षण का कब एहसास मुझे दोगे?
सरस प्रतीक्षा रहती है प्रिय,
कब तुम पास मेरे होगे…?
व्याकुल उदधि तरंगों में मैं,
जब तेरा ही स्वर टटोलती
तब तुम धीरे से चुपचाप, मन्द करके अपने पगचाप
मेरी छाया बन मेरे निकट खड़े होते।
जब सप्तर्षि मण्डल को गिनने में,
दोनों ही साथ लड़े होते।
ऐसी तुनकमिजाजी वाली, कब तकरार मुझे दोगे?
सरस प्रतीक्षा रहती है प्रिय,
कब तुम पास मेरे होगे…?
……………………….
परिचय : जीवंत हस्ताक्षर, काव्य अमृत, कवियों की मधुशाला व बूँद-बूँद रक्त जैसे कई संग्रह प्रकाशित. पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित
ग्राम – बतरौली जिरवनिया, पोस्ट -परसिया छितनी सिंह, जिला-देवरिया, पिन 274704
मो. नं.- 9984381190 , 9532407368
ईमेल- gunjanguptanov@gmail.com
वाआआहहहहह लाजवाब हाइकु और गीत दोनो बेमिसाल गुंजन जी भावी जीवन की शुभकामनाये