गीत
- दिनेश प्रभात
मत कहो…
मत कहो इक गीत,
माँ पर भी लिखा है!
शब्द की ऊँचाइयों का
भ्रम न पालो,
त्याग उसका तुम किसी
क्रम में न ढालो,
सिन्धु छोटा, आस्मां
बौना दिखा है!
मत कहो इक गीत
माँ पर भी लिखा है!
तुम पढ़े संगीत के
विद्यालयों में,
लोरियाँ उसकी रहीं
सारी लयों में,
छंद, धुन वो सब गई
हमको सिखा है!
मत कहो इक गीत
माँ पर भी लिखा है!
मानता हूँ आँख से
ओझल हुई है,
ज़िंदगी में एकदम
हलचल हुई है,
बुझ न पाएगी कभी
ऐसी शिखा है!
मत कहो इक गीत
माँ पर भी लिखा है!