कहानी :फेसबुक फ्रैंड ::गोपाल मोहन मिश्र

ऑफिस से थकी हारी निर्मला जैसे ही घर में घुसी तो देखा उसका बेटा श्रेयस मोबाईल से चिपका हुआ है ।
सारा घर अस्त व्यस्त ….. कहीं कपड़े बिखरे पड़े हैं तो कहीं जूते चप्पल फैले पड़े हैं । मेज पर चाय के जूठे कप ओर नाश्ते की प्लेट पड़ी है ।
श्रेयस ने उचटती सी नजर माँ पर डाली और फिर से मोबाईल में कुछ टाइप करने लगा । ये देख निर्मला का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुँचा !
” सारा दिन मोबाईल में घुसे रहते हो , ये नहीं कि माँ थकी हारी ऑफिस से आएगी ,थोड़ा घर सही कर दूँ ,धर्मशाला बना के रखा है घर को ,सारा दिन फेसबुक पर लगे रहते हो ।”
श्रेयस -ओह्हो माँ , चैटिंग ही तो कर रहा हूँ,कौन सा अपराध कर रहा हूँ !!  निर्मला – जानती हूँ ,पर ये तुम्हारे फेसबुक फ्रेंड कभी काम नहीं आने वाले । वक्त पड़ने पर 5000 की लिस्ट में कोई एक ऐसा नहीं है जो मुसीबत में तुम्हारे काम आएगा ,पर्सनली जानते हो क्या इनमें से किसी को !!
निर्मला बड़बड़ा ही रही थी कि उसकी माँ का फोन आ गया लखनऊ से । वो घबराई हुई सी बोली -” बेटा तुम्हारे पापा की तबियत ठीक नहीं है,हो सके तो एक बार आ जा ” ,कहकर फोन काट दिया । इकलौती बेटी होने के कारण निर्मला को लगा अभी जाना चाहिए । घड़ी में देखा तो सात बज रहे थे । सोचा साढ़े बारह बजे वाली ट्रेन मिल जाये तो बीकानेर से लखनऊ कल शाम तक तो वो पहुँच ही जायेगी ! सोचते हुए रसोई की और बढ़ गयी । जल्दी जल्दी दोनों का खाना बनाया ,फुर्ती से दो तीन जोड़ी कपड़े बैग में डाले ,बॉस को तीन दिन की छुट्टी के लिए फोन किया ओर श्रेयस को साथ ले कर रेलवे स्टेशन के लिए निकल गयी । सारे रास्ते उसे हिदायत देती रही कि सारा दिन फेसबुक में खराब मत करना ,पढ़ाई पर ध्यान देना ।
ट्रेन अपने सही समय पर थी और वीआईपी कोटा से रिजर्वेशन भी मिल गया । ट्रेन में बैठने के बाद श्रेयस को भी वापस भेज दिया और खाना खाकर सोने की तैयारी करने लगी ,सोते ही आँख लग गयी । सुबह साढ़े छह बजे करीब आँख खुली । सहयात्री से पूछने पर पता चला दिल्ली आने वाला है।सोचा चाय ले लूं , पैसे निकालने के लिए बैग सम्भाला तो जी धक्क से रह गया । जल्दी से बैग के सारे कपड़े निकाल कर देखा कि शायद अंदर कहीं दब गया हो । सीट के ऊपर नीचे चारो तरफ टटोला पर पर्स नही मिला । मैंने तो बैग में सबसे ऊपर ही रखा था ,निर्मला ने मन ही मन सोचा । पर जब चारों तरफ तलाशने पर भी नहीं मिला,तो भरोसा हो गया कि पर्स चोरी हो गया । उसके अंदर ही मोबाईल भी था । निर्मला बहुत परेशान हो गयी  कि अब क्या करे !
इतने में ही …..नमस्ते आँटी,,आप श्रेयस की मम्मी हैं ना ? मैं कबीर हूँ, उसका फेसबुक फ्रेंड ! आपका फोन स्विच ऑफ आ रहा था तो  श्रेयस ने कहा आपको संभाल लूँ । कोई प्रॉब्लम तो नहीं है आपको ,कहते हुए उसने दो पैकेट दिए – एक में गर्म समोसे थे,दूसरे में थर्मस ,जिसमें गरमा गरम चाय थी । इतने में ही  श्रेयस का फोन आ गया,तो कबीर ने निर्मला को फोन दे दिया !
” श्रेयस ,मेरा पर्स और मोबाईल चोरी हो गए बेटा …..” निर्मला और कुछ कहती तब तक ट्रेन सरकने लगी,तो उसने जल्दी से फोन कबीर को दिया और थैंक्यू कहा । वो जल्दी से ट्रेन से उतर गया !
चाय नाश्ता करते हुए निर्मला को श्रेयस पर बहुत प्यार आया । सोचने लगी उसको कितना डाँटती है,पर आज उसका फेसबुक फ्रेंड ही काम आया । पर साथ ही चिंता भी हो रही थी कि बिना पैसे घर कैसे पहुँचेगी ।
दोपहर के एक बजने वाले थे । ट्रेन बरेली स्टेशन पर पहुँच गयी,तभी एक लड़की उसे तलाशते हुए पहुँची…..! नमस्ते आँटी,, आप श्रेयस की मम्मी हैं ना ? मैं उसकी फेसबुक फ्रेंड स्मिता हूँ ! उसने मुझे आपके बारे में बताया ..कहते हुए उसने निर्मला को एक खाने का पैकेट और दो हजार रुपये दिए,जिसमें कुछ छुट्टे भी थे । उसने कहा ” श्रेयस ने उसके अकाउंट में दो हजार रूपये ट्रांसफर करवा दिए थे ” और वो मुस्कुराते हुए “बाय” बोलकर चली गयी । निर्मला अवाक् सी उसे जाते हुए देख रही थी ।
अचानक ही उसे ये फेसबुकिया दुनियाँ अच्छी लगने लगी । वो सोच रही थी कि अब तक उसने फेसबुक के नकारात्मक पहलू को ही देखा,सकारात्मक पहलू पर कभी गौर ही नहीं किया । सच में,वास्तविक जिंदगी की भाँति यहाँ भी तो अच्छे और बुरे ,दोनों तरह के लोग हैं,बस चुनाव में सावधानी की जरुरत है । अगर आज श्रेयस के ये फेसबुक फ्रेंड नहीं होते,तो सफर इतना आसान नहीं होता । मन ही मन सोच रही थी,जाते ही श्रेयस से कहूँगी कि फेसबुक पर मेरा भी अकाउंट बना दे ,मुझे भी कुछ ऐसे ही प्यारे दोस्तों की जरुरत है ।

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