विशिष्ट कवयित्री : मंजूषा मन
1 सहारा तुमने कहा - "तुम लता बन जाओ मैं हूँ न सहारा देने को, मेरे सहारे तुम बढ़ना ऊपर छूना आसमान... खो गई में...
खास कलम : लकी निमेष
1 अगर जो गाँव को छोडूँ तो बस्ती रूठ जाती है अगर मैं शहर ना जाऊँ तरक्की रूठ जाती है मुहब्बत में शिकायत का अलग...
सफ़रनामा : आंच का एक वर्ष
धीमी-धीमी आंच में पका साहित्य देश में बहुत कम पत्रिकाएं होती हैं जो अपने नाम को सार्थक करती हैं. सौभाग्य से यह श्रेय जिस पत्रिका...
ग़ज़ल की भाषा, ख़याल और कहन के सन्दर्भ में : के. पी. अनमोल
ग़ज़ल की भाषा, ख़याल और कहन के सन्दर्भ में ग़ज़ल एक ऐसी विधा है, जो सदियों से कही/लिखी जा रही है। अरबी, फारसी, उर्दू से...
पत्रिका के एक वर्ष पूरे होने पर बधाई के शब्द
धीमी-धीमी आंच में पका साहित्य देश में बहुत कम पत्रिकाएं होती हैं जो अपने नाम को सार्थक करती हैं. सौभाग्य से यह श्रेय जिस पत्रिका...
विशिष्ट कवि : अनिल पांडेय
हमारे समय का सांड़ चारा की तलाश में गायब हुआ सांड लौट आया है सब अचरज में हैं उसे देखकर मौन है, शांत चित्त होकर...
पुस्तक समीक्षा : अनिरुद्ध सिन्हा
मानवीय संवेदना के रस से युक्त”अभी तुम इश्क़ में हो” छंदमुक्त कविता के जिस दौर में लोग मांग के अनुसार कविता लिख रहे हों, उस...
विशिष्ट ग़ज़लकार : डी.एम.मिश्र
1 बनावट की हँसी अधरों पे ज़्यादा कब ठहरती है छुपाओ लाख सच्चाई निगाहों से झलकती है कभी जब हँस के लूटा था तो बिल्कुल...
विशिष्ट कहानीकार : पंखुरी सिन्हा
हिस्टीरिया और हेल्थ पेपर्स ‘दुनिया डोल रही है, आकाश डोल रहा है, पृथ्वी अपनी धुरी से कुछ दूर छिटक गयी है शायद, एक तेज़ आंधी...
विशिष्ट गीतकार : राहुल शिवाय
तुम मिले तुम मिले तो मिट गई है पीर इस तन की चढ़ गई है होठ पर अब बांसुरी मन की हम खड़े थे कबसे...