पुस्तक समीक्षा : अनिरुद्ध सिन्हा
डी.एम.मिश्र की ग़ज़लें लोक-जीवन का काव्यात्मक अंकन हैं डी.एम.मिश्र की ग़ज़लें अपने स्वगत चिंतन और आत्मानुभूति के लोक में स्वछंद विहार करती हुई नज़र आती...
आलेख : डॉ मनमीत कौर
आदिवासी स्त्रियाँ (निर्मला पुतुल की कविताओं के विशेष संदर्भ में) - डॉ मनमीत कौर वर्तमान भारत में आदिवासियों की कुल आबादी लगभग आठ प्रतिशत...
विशिष्ट कहानीकार : सपना सिंह
दो बहनों की कहानी - सपना सिंह ......कुछ पुराना सा शीर्षक है न। दो बैलों की कथा सा ध्वनित होता है। पर क्या करें एक...
खास कलम : विकास
1 सफर में रहनुमाई चाहता हूँ कहाँ तुमसे जुदाई चाहता हूँ मैं ज़िम्मेदार हूँ अपने किये का न उसकी मैं बधाई चाहता हूँ ये कैसी...
दोहे : जयप्रकाश मिश्र
सोने जैसी बेटियाँ, भिखमंगें हैं लोग। आया कभी न भूल कर, मधुर-मांगलिक योग।। 11 लिपट तितलियाँ पुष्प से , करती हैं मनुहार। रंगों का दरिया...
विशिष्ट कहानीकार : अंजू शर्मा
उम्मीदों का उदास पतझड़ साल का आखिरी महीना है ऑटो से उतरकर उसने अपने दायीं ओर देखा तो वह पहले से बस स्टॉप पर बैठी...
आलेख : संजीव जैन
वस्तुकरण का उन्माद आधुनिक पूँजीवादी व्यवस्था ने पूरी दुनिया को ‘वस्तुकरण के उन्माद’ की धुंध और कुहासे के अनंत चक्रव्यूह में फंसा दिया है। ऐसा...
विशिष्ट गीतकार : किशन सरोज
1 धर गये मेंहदी रचे दो हाथ जल में दीप जन्म जन्मों ताल सा हिलता रहा मन बांचते हम रह गये अन्तर्कथा स्वर्णकेशा गीतवधुओं की...
पुस्तक समीक्षा : परवाज-ए-ग़ज़ल
गहन संवेदना का प्रखर दस्तावेज परवाज-ए-ग़ज़ल गजल जब अपने परंपरागत ढांचे को तोड़ते हुए रूहानियत और रूमानियत के सिंहासन से उतरकर किसी झोपड़ी के चौखट...
विशिष्ट गजलकार : ओमप्रकाश यती
1 कभी लगती मुझे भीगे नयन की कोर है अम्मा मगर हरदम मेरी उम्मीद का इक छोर है अम्मा बिखरने से बचाती है, सभी को...