संपादकीय – आजादी को रग-रग में महसूस करें, राष्ट्र प्रेम सर्वोपरि राष्ट्र किसी भी चेतना संपन्न मनुष्य के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। जिस भूमि के अन्न-जल से हमारा तन…
Tag: संयुक्तांक (साठ-बासठ)
विशिष्ट गीतकार :: हीरालाल मिश्र मधुकर
विशिष्ट गीतकार- हीरालाल मिश्र मधुकर उठो जवान उठो जवान! मातृभूमि को नया विधान दो। वसुन्धरा पुकारती प्रवीण प्राण दान दो। उठो किसान, बाल-वृंद, वृद्ध-नौजवां उठो, उठो कराल काल कालिका के…
विशिष्ट ग़ज़लकार :: डॉ. पंकज कर्ण
डॉ.पंकज कर्ण की दो ग़ज़लें 1 हमें तहज़ीब दुनिया की वो कुछ ऐसे सिखाता है निगाहें हम मगर वो देखिए उंगली उठाता है तिरंगे में बसा ईमान सबका जानने वाला…
भारत मां का सोना बेटा ‘नीरज’ :: उत्प्रभ उपमान
भारत मां का सोना बेटा ‘नीरज’ -उत्प्रभ उपमान आपने भाला फेंक कर रचा इतिहास । 7 अगस्त…
विशिष्ट कहानीकार :: प्रेमचंद
यही मेरा वतन – प्रेमचंद आज पूरे साठ बरस के बाद मुझे अपने वतन, प्यारे वतन का दर्शन फिर नसीब हुआ।…
पुस्तक समीक्षा :: एटमी हथियारों की होड़ पर गंभीर सवाल ‘रुई लपेटी आग’ :: ऋचा वर्मा
एटमी हथियारों की होड़ पर गंभीर सवाल ‘रुई लपेटी आग’ :: ऋचा वर्मा (अवधेश प्रीत की पुस्तक ‘रुई लपेटी आग’ की समीक्षा) अपने पहले उपन्यास ‘अशोक राजपथ’ से समकालीन उपन्यास लेखन…
विशिष्ट ग़ज़लकार :: दिनेश प्रभात
तिरंगे की शान है दिनेश प्रभात पर्वत की चोटियों पे तिरंगे की शान है कह दो कि मेरे देश का सैनिक महान है बेटे ने मेरे दूध का कर्जा चुका…
विशिष्ट ग़ज़लकार :: मधुकर वनमाली
मधुकर वनमाली की तीन ग़ज़लें भारत जनम यह देश की खातिर,हमारी जान है भारत तिरंगा झुक नहीं सकता, हमारी शान है भारत बड़ी मुश्किल से हो पाया,वतन आजाद यह अपना…
ख़ास कलम :: सविता राज
हर घर तिरंगा फहराया – सविता राज तिरंगा प्यारा हर घर लहराया, आजादी का अमृत महोत्सव आया। भारत की…
ख़ास कलम :: हेमा सिंह
देश भक्ति गीत – हेमा सिंह हम रहे न रहे देश मेरा रहे ! यूँ ही आबाद मेरा तिरंगा रहे! जान है, शान है देश मेरे लिए आन है बान…