ख़ास कलम :: सुरेखा कादियान ‘सृजना’
ग़ज़ल सभी की ज़िंदगानी का बड़ा छोटा फ़साना है अचानक से चले आये अचानक लौट जाना है कहानी लिख तो दूँ लेकिन वही किरदार लाज़िम है जिसे अपनी कहानी में…
ग़ज़ल सभी की ज़िंदगानी का बड़ा छोटा फ़साना है अचानक से चले आये अचानक लौट जाना है कहानी लिख तो दूँ लेकिन वही किरदार लाज़िम है जिसे अपनी कहानी में…
पिता की विह्वलता डॉ. विद्या चौधरी रामलखन बाबू ने अपनी ग्रेजुएट बेटी लक्ष्मी की शादी बहुत समझ-गबुझ कर खानदानी घर एवं अच्छे ओहदे वाले लड़के से किया | एक साल…
मधुकर वनमाली की दो लघुकथायें जोतिया-ढोरिया उस का नाम जोतिया था, और बेटी का ढोरिया। सब्जी की टोकरी लिए भोर में ही टोले में आ जाती। मां के चूल्हे के…
ग़ज़ल सभी की ज़िंदगानी का बड़ा छोटा फ़साना है अचानक से चले आये अचानक लौट जाना है कहानी लिख तो दूँ लेकिन वही किरदार लाज़िम है जिसे अपनी कहानी में…
हिन्दी ग़ज़ल उर्मिलेश से हटकर –डा जियाउर रहमान जाफरी हिन्दी में जब ग़ज़ल लेखन…
डॉ संजय पंकज के चार गीत गीत अधूरे तुम क्या जानो तुम्हें पता क्या तुम बिन कितने गीत अधूरे! वर्तमान के जस के तस ही अपने रहे अतीत अधूरे! खाली…
‘तस्वीर कहीं तो है’ में रिश्तों का आपसी सामंजस्य डॉ भावना समकालीन हिंदी ग़ज़ल दुष्यंत के बाद आज जिस मुकाम पर है ,वहां…
मधुवेश जी की 230 शेरों की लंबी ग़ज़ल का कुछ अंश ग़ज़ल : बहुत पहले न मोटर थी न बाइक थी न रिक्शा था बहुत पहले सफ़र पैदल किया…
ब्रज श्रीवास्तव की पांच कविताएं सच बोला तो.. पहली बार मैंने सच बोला था लोग खुश हुए थे. दूसरी बार बोला तो कानाफूसी हुई तीसरी बार बोला तो मुझे समझाईश…
आखरी डाक आशा पांडेय ओझा पिछले एक सप्ताह से जीवन जी पोस्ट ऑफिस में इंतज़ार कर रहे हैं कि उस रास्ते की एक आध डाक और आ जाये तो त्रिलोक…