बदलते परिवेश में हिन्दी ग़ज़ल एक साक्षात्कार : अविनाश भारती

बदलते परिवेश में हिन्दी ग़ज़ल एक साक्षात्कार

  • अविनाश भारती

निःसंदेह आज हिन्दी ग़ज़ल की प्रतिबद्धता और कथ्यों की विविधता ने उसे हिन्दी साहित्य की सबसे लोकप्रिय विधा के रूप में पहचान दिलाई है। अगर कहा जाए कि हिन्दी ग़ज़ल अपने स्वर्णिम समय को जी रही है तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। दुष्यंत कुमार ने जिस ग़ज़ल परंपरा की नींव रखी थी, आज के समकालीन ग़ज़लकार अपनी रचनाधर्मिता से उसे मजबूती और विस्तार देते हुए नज़र आते हैं।

विदित हो कि डॉ. भावना का काम हिन्दी ग़ज़ल और आलोचना के क्षेत्र में काफ़ी महत्वपूर्ण है। अपने समय के सशक्त ग़ज़ल हस्ताक्षरों को लेकर इनकी सद्य: प्रकाशित आलोचकीय कृति पाठकों के सम्मुख है। इस कृति में इन्होंने  वैसे ग़ज़लकारों को लिया है जिन्होंने हिन्दी ग़ज़ल को स्थापित करने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। हिन्दी ग़ज़ल का अपना एक अलग लहजा और कहन का अंदाज है। खूबसूरत बिम्ब, प्रतीक, शिल्प , मुहावरा से लबरेज हिन्दी ग़ज़ल इन्हीं मजबूत कंधों की वज़ह से इस मुकाम पर पहुँची है। इस पुस्तक में समकालीन ग़ज़ल की प्रतिबद्धता और सरोकार क्या है ? दुष्यंत के बाद ग़ज़ल अपने समय की धड़कनों को कितना महसूस कर पा रही है? इन सभी सवालों का जवाब आपको इस पुस्तक में मिलेगा। यह पुस्तक नंदलाल पाठक, दरवेश भारती, विज्ञान व्रत, हस्तीमल हस्ती, ज़हीर कुरेशी, हरेराम समीप, माधव कौशिक, अनिरुद्ध सिन्हा, कमलेश भट्ट कमल, ओमप्रकाश यती, वशिष्ठ अनूप जैसे चुनिंदा ग़ज़लकारों के बहाने हिन्दी ग़ज़ल की सम्पूर्ण परंपरा की पड़ताल करती नज़र आती है।
जहाँ ज्यादातर रचनाकार खुद की रचना और आत्ममुग्धता से बाहर नहीं आते, वहीं डॉ. भावना बिल्कुल निः स्वार्थ भाव से हिन्दी ग़ज़ल की बेहतरी को लेकर प्रतिबद्ध हैं, समर्पित हैं, सेवारत हैं जिसका परिणाम यह महत्वपूर्ण कृति हमारे सामने है। समकालीन हिन्दी ग़ज़ल की सशक्त महिला हस्ताक्षर डॉ. भावना अपनी संजीदा ग़ज़लों के साथ-साथ अपने आलोचना-कर्म से भी पाठकों के दिल-ओ-दिमाग में अमिट छाप छोड़ने से सफल हो रही हैं।
‘बदलते परिवेश में हिन्दी ग़ज़ल’ के अंतर्गत चुनिंदा ग़ज़लगो पर तटस्थ मनोभाव से इनका आलोचना-कर्म पाठकों को समकालीन हिन्दी ग़ज़ल की वास्तविकता से साक्षात्कार कराता है जो पठनीय एवं संग्रहनीय है।

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पुस्तक का नाम – बदलते परिवेश में हिन्दी ग़ज़ल 
लेखक – डॉ. भावना
समीक्षक -अविनाश भारती 
विधा – आलोचना
प्रकाशन- श्वेतवर्णा प्रकाशन, नई दिल्ली 
क़ीमत – ₹199
पृष्ठ – 208

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