हिंदी ग़ज़लों का सटीक मूल्यांकन :: अविनाश भारती
डॉ भावना की आलोचनात्मक कृति ‘हिंदी ग़ज़ल : भाषा और मूल्यांकन’ की समीक्षा
समकालीन हिन्दी ग़ज़लगो की शीर्ष सूची में अपनी पहचान पाने वाली डॉ. भावना पूर्णतः हिन्दी ग़ज़ल के उत्थान और विकास के लिए प्रतिबद्ध और समर्पित हैं। डॉ. भावना की सद्य प्रकाशित आलोचनात्मक कृति ‘हिन्दी ग़ज़ल : भाषा और मूल्यांकन’ इन दिनों ख़ूब चर्चा में है। विदित हो कि इस पुस्तक में डॉ. भावना ने चुनिंदा दस समकालीन ग़ज़लकारों की ग़ज़लधर्मिता पर बात की है, उनकी कहन शैली, कथ्य और भाषा की विवेचना की है। चयनित ग़ज़लकारों में ज्ञान प्रकाश विवेक, डॉ विनोद गुप्ता शलभ, प्रेम किरण, दिनेश प्रभात, मधुवेश, अशोक मिज़ाज, ऋषिपाल धीमान ऋषि, कृष्ण कुमार प्रजापति, अशोक अंजुम और विजय कुमार स्वर्णकार जैसे ख्यातिप्राप्त नाम शामिल हैं।
पुस्तक को पढ़ने के बाद बतौर समीक्षक डॉ. भावना बिल्कुल तटस्थ और निष्पक्ष नज़र आती हैं। ग़ज़लकारों के चयन से लेकर उनकी रचनाधर्मिता की समीक्षा तक डॉ. भावना पाठकों के दिल-ओ-दिमाग पर अमिट छाप छोड़ने में सफल हुई हैं। गौरतलब है कि जहाँ ज़्यादातर रचनाकार आत्ममुग्धता के शिकार हैं, वहाँ ऐसे काम का सम्पादित होना, संक्रमण-मुक्त साहित्य के स्थापना हेतु बेहद अनिवार्य हो जाता है। डॉ. भावना ख़ुद भी स्थापित और प्रतिष्ठित ग़ज़लकार हैं। इसके बावजूद भी अन्य समकालीन ग़ज़लकारों की ग़ज़लों में निहित विशेषताओं को पाठकों के बीच सहर्ष पेश करना उनके ग़ज़ल-प्रेम को प्रदर्शित करता है।
डॉ. भावना हमेशा ही अपने आलोचना-कर्म में अपने पूर्ववर्ती और परवर्ती पीढ़ी के ग़ज़लकारों की ग़ज़लगोई को केन्द्र में रखती हैं जो इन्हें बाक़ी ग़ज़ल-समीक्षकों से अलग पहचान देता है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो निःसंदेह ‘हिन्दी ग़ज़ल : भाषा और मूल्यांकन’ जैसी आलोचनात्मक कृति हिन्दी ग़ज़ल को उसके वांछित मुक़ाम तक ले जाने सहायक सिद्ध होगी। पुस्तक में शामिल सभी ग़ज़लकारों की दस-दस प्रतिनिधि ग़ज़लें भी शामिल हैं जो पाठकों और शोधार्थियों के लिए उपहार समान है।
भले ही यह पुस्तक ग़ज़ल-आलोचना की हो लेकिन इसकी सहज भाषा और संप्रेषणीयता इसे पाठकों के बीच लोकप्रिय और पठनीय बनाता है।
इस महत्वपूर्ण कृति के सृजन हेतु ग़ज़लगो/आलोचक डॉ. भावना को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।्
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पुस्तक – हिन्दी ग़ज़ल : भाषा और मूल्यांकन
आलोचक/लेखक – डॉ. भावना
समीक्षक – अविनाश भारती
विधा – आलोचना
प्रकाशन – श्वेतवर्णा प्रकाशन, नई दिल्ली
पृष्ठ – 172
क़ीमत – ₹299