विशिष्ट ग़ज़लकार : अशोक अंजुम
1 वो मिले यूँ कि फिर जुदा ही न हो ऐसा माने कि फिर ख़फ़ा ही न हो मैं समझ जाऊँ सारे मजमूँ को खत...
विशिष्ट ग़ज़लकारा : ग़ज़ाला तबस्सुम
आजा तेरे हुस्न का सदक़ा मैं उतार दूँ फूल सारे बाग़ के आज तुझपे वार दूँ तेरी सारी उलझनें हँस के मैं संवार दूँ तेरे...
विशिष्ट ग़ज़लकार : कृष्ण बक्षी
इम्तिहा-इम्तिहा मुख़्तसर सी जमीं, मुख़्तसर आसमाँ उसपे इतना घना,ये धुआँ, ये धुआँ. वो मोहब्बत का सारी उमर यूँ मेरी सिर्फ़ लेता रहा , इम्तिहा, इम्तिहा...
विशिष्ट ग़ज़लकार : समीर परिमल
1 शरारत है, शिकायत है, नज़ाक़त है, क़यामत है ज़ुबां ख़ामोश है लेकिन निगाहों में मुहब्बत है हवाओं में, फ़िज़ाओं में, बहारों में, नज़ारों में...
विशिष्ट ग़ज़लकार : कमलेश भट्ट कमल
1 कई गलियाँ कई रस्ते कई मंज़र समेटे है ज़रा-सी याद पूरा गाँव पूरा घर समेटे है. तुम्हें भी हौसले का उसके अन्दाजा नहीं होगा...
विशिष्ट ग़ज़लकार : हस्तीमल हस्ती
(1) चिराग़ दिल का म़ुकाबिल हवा के रखते हैं हर एक हाल में तेवर बला के रखते हैं मिला दिया है पसीना भले ही मिट्टी...
विशिष्ट ग़ज़लकार : हातिम जावेद
हातिम जावेद की ग़ज़लें 1 इक नज़र आपकी हो गई ज़िंदगी ज़िंदगी हो गई आपने लफ़्ज़े-कुन कह दिया सारी कारागरी हो गई आप की दी...
विशिष्ट गजलकार : ओमप्रकाश यती
1 कभी लगती मुझे भीगे नयन की कोर है अम्मा मगर हरदम मेरी उम्मीद का इक छोर है अम्मा बिखरने से बचाती है, सभी को...
विशिष्ट ग़ज़लकार : डी.एम.मिश्र
1 बनावट की हँसी अधरों पे ज़्यादा कब ठहरती है छुपाओ लाख सच्चाई निगाहों से झलकती है कभी जब हँस के लूटा था तो बिल्कुल...
विशिष्ट गजलकार : ज्ञान प्रकाश विवेक
1 तमाम घर को बयाबां बना के रखता था पता नहीं वो दिये क्यों बुझा के रखता था बुरे दिनों के लिए तुमने गुल्लकें भर...