विशिष्ट गीतकार : संजय पंकज

रात चाँदनी चुपके आई खिड़की से सिरहाने में! सुबह सुबह तक रही सुबकती लीन रही दुलराने में! पता नहीं क्यों लापता रही कितने दिन बेगानों-सी...

विशिष्ट गीतकार : हरि नारायण सिंह ‘हरि’

बहुत दिनों से तेरा-मेरा रिश्ता तना-तना सम्बंधों के बीच तना है कुहरा घना-घना इन्हें पिघल जाने दें अब तो समय बचा थोड़ा फिर से तार...