विशिष्ट गजलकार : दरवेश भारती

विशिष्ट गजलकार : दरवेश भारती 1 हम ज़िन्दगी की राह खड़े देखते रहे झूठी खुशी की राह खड़े देखते रहे आयेगी और मिटायेगी जो तीरगी-ए-ज़ेह्न उस रौशनी की राह खड़े देखते रहे आपस की दुश्मनी का रहे अब न सिलसिला हम दोस्ती की राह खड़े देखते रहे सब- कुछ हड़प गया वो...