विशिष्ट कवयित्री: पूनम सिंह

(बाबा की सजल स्मृति को समर्पित) एकमुश्त बहुवचन है तुम्हारी कविता  फक्कड़ अक्खड़ और घुमक्कड़ तीन विशेषणों से परिभाषित तुम्हारा नाम अपनी बहुपरती संरचना में...

पुस्तक समीक्षा : उछालो यूँ नहीं पत्थर

मुंगेर के युवा ग़ज़लकार विकास की गजल संग्रह "उछालो यूँ नहीं पत्थर" से गुजरते हुए - कुमार कृष्णन आधुनिक हिन्दी गजल अपने मौलिक चिंतन तथा...

बलात्कार एक सामाजिक अपराध बनाम बीमार समय और समाज : संजीव जैन

बलात्कार एक सामाजिक अपराध बनाम बीमार समय और समाज    हम जिस समय और समाज में रह रहे हैं वह अपने सामूदायिक दायित्वों की पूर्ति...

समकालीन कविता में रश्मिरेखा ने बनायी थी विशिष्ट पहचान :: चितरंजन

समकालीन कविता में रश्मिरेखा ने बनायी थी विशिष्ट पहचान :: चितरंजन एकांत में जीवन की तलाश जोखिम भरा कार्य है. यह तलाश तब और कठिन...

रचनाकार स्मरणः ‘अंधेरे में रोशनी की सेंध’ की कवयित्री :: डॉ रमेश ऋतंभर

रचनाकार स्मरणः 'अंधेरे में रोशनी की सेंध' की कवयित्री "रश्मिरेखा का नाम समकालीन साहित्य के पाठकों के लिए अपरिचित नहीं है। उनकी टिप्पणियाँ और कविताएँ...

विशिष्ट कवयित्री :: स्मृति शेष रश्मिरेखा

समय के निशान एक अर्से बाद जब तुम्हारे अक्षरों से मुलाक़ात हुई वे वैसे नहीं लगे जैसे वे मेरे पास हैं भविष्य के सपने देखते...