विशिष्ट कवयित्री: पूनम सिंह
(बाबा की सजल स्मृति को समर्पित) एकमुश्त बहुवचन है तुम्हारी कविता फक्कड़ अक्खड़ और घुमक्कड़ तीन विशेषणों से परिभाषित तुम्हारा नाम अपनी बहुपरती संरचना में...
पुस्तक समीक्षा : उछालो यूँ नहीं पत्थर
मुंगेर के युवा ग़ज़लकार विकास की गजल संग्रह "उछालो यूँ नहीं पत्थर" से गुजरते हुए - कुमार कृष्णन आधुनिक हिन्दी गजल अपने मौलिक चिंतन तथा...
विशिष्ट गीतकार : जय चक्रवर्ती
1 आदमी थे हम छोडकर घर-गाँव, देहरी–द्वार सब आ बसे हैं शहर मे इस तरह हम भी प्रगति की दौड़ को तत्पर हुए. चंद...
खास कलम: अफरोज आलम
खुद कलामी मेरे रूखसार पे जो हल्की हल्की झुर्रियां आ गई हैं यकिनन उस को भी आ गई होंगी जिंंदगी के सफ़र मे उमर के...
बलात्कार एक सामाजिक अपराध बनाम बीमार समय और समाज : संजीव जैन
बलात्कार एक सामाजिक अपराध बनाम बीमार समय और समाज हम जिस समय और समाज में रह रहे हैं वह अपने सामूदायिक दायित्वों की पूर्ति...
विशिष्ट कहानीकार: सुशील कुमार भारद्वाज
निकाह की दावत सुबह से ही पूरा गाँव चहल-पहल में डूबा था. लग रहा था जैसे कि पूरा गाँव ही एक टांग पर खड़ा...
विशिष्ट गजलकार: सुशील साहिल
1 निगाहें मेरी जाती हैं जहाँ तक नज़र आता है तू मुझको वहाँ तक महब्बत की अजां देता रहूँगा कोई आये, नहीं आये यहाँ तक...