आलेख : डॉ अनिल कुमार पांडेय
जीवन, प्रकृति और समाज की अभिव्यक्ति : समकालीन हिंदी ग़ज़ल - डॉ. अनिल कुमार पाण्डेय ग़र जमीं पर बाँट देने की हवस बढ़ती रही जंग...
विशिष्ट कहानीकार : तरुण भटनागर
महारानी एक्सप्रेस तारा को छोटी बहन की बातें याद आ रही थीं। जब वे गोवा में थे वह वहाँ की औरतों को देखकर चहक उठती...
विशिष्ट ग़ज़लकार : दिनेश प्रभात
1 पांव को आये न देखो आंच बस्ती में हर तरफ बिखरे हुए हैं कांच बस्ती में क्यों मरी उसके कुएँ में डूबकर औरत चल...