विशिष्ट कहानीकार : राजेन्द्र श्रीवास्तव
कोरोना की चिट्ठी कर्मवीर के नाम - राजेन्द्र श्रीवास्तव प्यारे...
विशिष्ट गीतकार : रंजन कुमार झा
रंजन कुमार झा (1) व्याधि तुझे तो आना ही था सँग कुदरत के इन मनुजों ने जो निर्मम व्यवहार किया है भू, जंगल, पर्वत, नदियों...
विशिष्ट गीतकार : मंजू लता श्रीवास्तव
धन्य ये प्राण हो गए हाट हुए हैं बंद घाट सुनसान हो गए जीवन के अवरुद्ध सभी अभियान हो गए था स्वतंत्र अब तक...
विशिष्ट गीतकार : शुभम् श्रीवास्तव ओम
काँपता है गाँव गाँव में कुछ लोग लौटे हैं शहर से! हैं वही परिचित वही अपने-सगे हैं पाँव छूकर फिर गले सबके लगे हैं रोज...
विशिष्ट कवि : ब्रज श्रीवास्तव
अणु एक अणु ने ओढ़ लिया है ज़हर वह अपनी काली शक्ति से मार डालना चाह रहा है बचपन वह उम्र को निगलने के लिए...
विशिष्ट गीतकार : राजेन्द्र वर्मा
1 पीठ पर माँ बेटा माँ को लाद पीठ पर चला गाँव को । देश बंद है, ख़त्म हुआ सब दाना पानी, दो रोटी देने...
विशिष्ट ग़ज़लकार : के.पी.अनमोल
1 मौला मुझको घर जाना है माई रस्ता देखे है छत, पनियारा, ओसारा, अँगनाई रस्ता देखे है पिछली बार कहा था बेटा इक दिन...
विशिष्ट ग़ज़लकार : डी.एम. मिश्र
1 यूं अचानक हुक्म आया लाकडाउन हो गया यार से मिल भी न पाया लाकडाउन हो गया बंद पिंजरे में किसी मजबूर पंछी की तरह...
विशिष्ट ग़ज़लकार : अनिरुद्ध सिन्हा
उदास- उदास सफ़र था उदास रस्ता भी उदास लगता था मुझको ख़ुद अपना साया भी हमारी रात उजालों से कब हुई रौशन बना के ...
पुस्तक समीक्षा :: शहंशाह आलम
आग की छाती पर पैर रखकर - शहंशाह आलम रंजीता सिंह ‘फ़लक’ की कविताओं का संग्रह ‘प्रेम में पड़े रहना’ ऐसे वक़्त में छपकर आया...