आम आदमी से संवाद करती हैं डॉ भावना की ग़ज़लें :: अविनाश भारती
आम आदमी से संवाद करती हैं डॉ भावना की ग़ज़लें
– अविनाश भारती
डॉ. माधवी के कुशल संपादन में सद्यः प्रकाशित पुस्तक ‘डॉ. भावना की ग़ज़लधर्मिता : विविध आयाम और मूल्यांकन’ इन दिनों ख़ूब चर्चा में है। विदित हो कि डॉ. माधवी जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के यदुनंदन महाविद्यालय दिघवारा में हिन्दी विभाग की अध्यक्ष हैं। साथ ही कविता, दोहा, ग़ज़ल और आलोचना पर इनकी ज़बरदस्त पकड़ है। संभवतः ये इनकी पहली सम्पादित कृति है।
वहीं डॉ. भावना की बात करें तो आदरणीया हमेशा से मेरी पसंदीदा ग़ज़लकारा रही हैं। इनकी ग़ज़लों के हर शे’र विशेष भाव-बोध की ओर ईशारा करते हैं। कहीं न कहीं इनकी ग़ज़लधर्मिता हर ग़ज़ल प्रेमी को अपनी ओर आकर्षित करती है। उदाहरण स्वरूप डॉ. माधवी की इस पुस्तक को देखा जा सकता है।
इस पुस्तक में देश के शीर्ष समकालीन हिन्दी ग़ज़लकारों एवं आलोचकों के आलेख संकलित हैं, जिन्होंने तटस्थ एवं निष्पक्ष भाव से डॉ. भावना की ग़ज़ल एवं ग़ज़लधर्मिता का मूल्यांकन किया है। इन आलोचकों में अनिरुद्ध सिन्हा, ज़हीर कुरेशी, डॉ. मधु खराटे, प्रो. वशिष्ट अनूप, हरेराम समीप, डॉ. दरवेश भारती, रेवती रमण, नंदलाल पाठक, कमलेश भट्ट कमल,रामेश्वर द्विवेदी, उमाशंकर सिंह परमार, प्रेम किरण, महेश अश्क़, दिनेश प्रसाद, श्रीधर मिश्र, विज्ञान व्रत, विनोद गुप्ता शलभ, अशोक मिज़ाज, रवि खण्डेलवाल, प्रो.सतीश कुमार राय, डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफ़री, के. पी. अनमोल, डॉ. पंकज कर्ण, डॉ. विनय कुमार शुक्ल, आशा पाण्डेय ओझा, सुमन आशीष, भागीनाथ यादवराव वाकले, धर्मेंद्र गुप्त साहिल, सत्यम भारती, विनय, देवयानी झाड़े, सुमन आशीष, राजीव कुमार झा आदि प्रमुख हैं।
निःसंदेह डॉ. माधवी ने एक बड़े काम को अंजाम दिया है। इसके लिए ये भूरी-भूरी प्रशंसा की हक़दार हैं। इनकी यह कोशिश महिला ग़ज़लकारों को मंचों की परिधि से बाहर निकल विशुद्ध साहित्य रचने को प्रेरित करेगा और यह समझ विकसित करेगा कि साहित्य साधना है, मनोरंजन का साधन नहीं।
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पुस्तक – डॉ. भावना की ग़ज़लधर्मिता : विविध आयाम और मूल्यांकन
सम्पादक – डॉ. माधवी
प्रकाशन – श्वेतवर्णा प्रकाशन, नई दिल्ली
समीक्षक – अविनाश भारती
क़ीमत -249
पृष्ठ- 327