ख़ास कलम :: पवन कुमार
पवन कुमार की तीन कविताएं मजदूरों की रामकहानी मज़दूरो की रामकहानी तुमसे नही सुनी जाएगी तुम हो राजा राजमहल के सुख ,वैभव में जीने वाले प्यास भला क्या पहचानोगे…
पवन कुमार की तीन कविताएं मजदूरों की रामकहानी मज़दूरो की रामकहानी तुमसे नही सुनी जाएगी तुम हो राजा राजमहल के सुख ,वैभव में जीने वाले प्यास भला क्या पहचानोगे…
ज़िन्दगी जितना सिखा नहीं पाती /हादसे उतना सिखा देते हैं डॉ.भावना समझ में नहीं आ रहा कि कहाँ से शुरू करूँ? मेरी एक ग़ज़ल का शेर है – जिन्दगी जितना…
डॉ. मंजू लता श्रीवास्तव के पांच गीत समय निरुत्तर समय निरुत्तर व्यक्ति निरुत्तर उत्तर नहीं किसी के पास जीवन की अनबूझ पहेली डिगा रही मन का विश्वास कटे पंख फिर…
गहन भावपूर्ण कृति : घरों को ढोते लोग -रमाकांत चौधरी जहाँ एक ओर सब कुछ मोबाइल पर सर्च करने की आदत ने पुस्तकों की ओर से लोगों को उदासीन कर…
दिनकर की बाल कविताओं का माधुर्य -डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी हिंदी कविता में दिनकर का समय छायावाद के बाद है. दिनकर पुर हिंदी साहित्य में जयशंकर प्रसाद के बाद दूसरे…
धर्मपाल महेंद्र जैन की दस कविताएं खंडित देह जीते हुए अपनी यौन विकृति के दंश मान-अपमान सबको समेटे ग्रंथों में आते हैं वे बुनते हुए ख़ुशियाँ भले ही छोड़नी…
डॉ सुनील कुमार शर्मा की ग्यारह ग़ज़लें मुझे पहले यूँ लगता था सहारा चाहिए मुझको मुझे पहले यूँ लगता था सहारा चाहिए मुझको मगर अब जा के समझा हूँ…
सुरेश सौरभ की दो लघुकथाएं धुंध भाई इंस्ट्राग्राम में मशगूल था। अचानक सामने आये एक वीडियो को देखकर उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। अरे! यह क्या? यह तो…
सभी वर्गों के जीवन का लेखा-जोखा करतीं लघुकथाएं सुधा जुगरान लंबी कथाओं को पढ़ने के आदी पाठकों के सामने जब लघुकथाओं की पुस्तक हाथ में आती है, तो गद्य की…
चरित्र मो नसीम अख्तर नौकरी मिलने के कुछ ही दिनों के बाद मेरा तबादला टीकमगढ़ हो गया था। जहाँ हर तरफ क़ुदरती ख़ुबसूरती बिखरी पड़ी थी। मै अचानक शहर की…