खास कलम: मनोज
न नजरें मिली न देखा जी भर यादों में बसी वह हमसफर हर डगर दो कदम जो चले मेरी परछाई वो जुदा जब हुए मेरी...
खास कलम : सोनम अक्स
वो लक्षमण रेखा खींची थी तुमने.. अपने मधुर सबंधों के लिये... वो आज तक ना लाँध पाई मैं... मगर रूह से रूह के सबंध को...
खास कलम : अजय नमन
1 ये समझना अधूरी हैं बातें कई उँगलियाँ हाथ की जो शरारत करें दूर हो जायेंगी मुश्किलें राह की दो क़दम ही सही साथ चलना...
खास कलम : मनोज अहसास
मनोज अहसास की कविताएं एक कुछ जिंदगियां होती हैं सीलन भरे अंधेरे कमरों की तरह जिनके खिड़की दरवाज़े मुद्दत से बंद हैं वहां कोई भी...
खास कलम : अंजना झा
मेरे घर का कचरा आज बहुत ज्यादा परेशान थी मैं क्योंकि नहीं उठेगा आज मेरे घर का कचरा वाकई हैरान थी मैं।। कल ही तो...
खास कलम : डाॅ. महेन्द्र नारायण
अनकही तुम्हारे प्यार पर कई कविताएँ या तो कम हो जाती हैं या छोटी पड़ जाती हैं जिसे अधरों की अभिव्यक्ति प्रगट कर न सकी...
ख़ास कलम : बृजमोहन स्वामी ‘बैरागी’
मेरे हिस्से की भूख : लाचार कविता ----------------------------------------------------- ( गरीबी और लाचारी में जीवन यापन करते हुए एक कवि/लेखक की अंतरात्मा से लिखी गई एक...
खास कलम : विकास
1 सफर में रहनुमाई चाहता हूँ कहाँ तुमसे जुदाई चाहता हूँ मैं ज़िम्मेदार हूँ अपने किये का न उसकी मैं बधाई चाहता हूँ ये कैसी...
खास कलम : लकी निमेष
1 अगर जो गाँव को छोडूँ तो बस्ती रूठ जाती है अगर मैं शहर ना जाऊँ तरक्की रूठ जाती है मुहब्बत में शिकायत का अलग...
खास कलम : अंजना बाजपेयी
1 तेजाब कुछ आवाजें उठीं कुछ कलम से दर्द बहा कुछ लोगों के मन पिघल गये .. एक माँ की आँखों से आँसू बहते रहे...