खास कलम :: अनामिका सिंह अना
1 नोंक है टूटी क़लम की, भाव मन के सब उपासे। चीख का मुखड़ा दबा है, और सिसकती टेक है। शब्द हैं बनवास पर, शून्यता...
खास कलम : आराधना शुक्ला
1 शातिर हैं अब हवा के झोंके, कातिल बड़ी बयार चिरैय्या खबरदार नहीं घोसला रहा सुरक्षित, पिंजड़े में भी खतरा कैसे जान सकेगी, किसका मन...
खास कलम : गरिमा सक्सेना
रक्षाबंधन बहन-भ्रात के प्यार का, यह अनुपम त्योहार। रक्षाबंधन जोड़ता, दिल से दिल का तार।। कच्चा धागा प्रेम का, बाँध भ्रात के हाथ। माँगे भगिनी...
खास कलम : राघवेंद्र शुक्ल
भीड़ चली है भोर उगाने हांक रहे हैं जुगनू सारे, उल्लू लिखकर देते नारे, शुभ्र दिवस के श्वेत ध्वजों पर कालिख मलते हैं हरकारे। नयनों...
खास कलम : राहुल शिवाय
दोहा भूख, गरीबी, बेबसी, पीड़ा औ संत्रास। यही आज उपलब्धियाँ, कृषक-जनों के पास।। नई सभ्यता ने जने, ऐसे आज उलूक। संस्कृति के नभ पर रहे,...
खास कलम : त्रिलोक सिंह ठकुरेला
कुण्डलियां जिनकी कृपा कटाक्ष से, प्रज्ञा, बुद्धि, विचार। शब्द, गीत, संगीत, स्वर, विद्या का अधिकार॥ विद्या का अधिकार, ज्ञान, विज्ञानं, प्रेम-रस। हर्ष, मान, सम्मान, सम्पदा...
खास कलम : शिवम ‘खेरवार’
वर्जना का दौर, इसमें प्रेम का अध्याय गढ़ना, है कठिन क्या? पर्वतों से हो गए जग के प्रणेता राह में जब, प्रेम की नदिया निकल...
खास कलम : पंखुरी सिन्हा
घिर रही हैं बदलियां अब जाने किधर घिर रही हैं बदलियां अब जाने किधर ना जाने किस देस में ठनका गिरा है किस...
खास कलम :: सत्यशील राम त्रिपाठी के दोहे
यहाँ मिली हैं हड्डियाँ, वहाँ मिला है खून| जंगल से बदतर हुआ, बस्ती का कानून|| आखिर कब कैसे हुई, दरवानों से चूक| दूर देश से...
खास कलम : नंद कुमार आदित्य
गंदगी मनकी सहेली जिंदगी उलझी पहेली हो चली सादगी सूनी हवेली हो चली योजना तो थी प्रदूषण दूर हो गंदगी मन की सहेली हो चली...