लघुकथा : अरविंद भट्ट
अरविंद भट्ट की दो लघुकथाएं रोटी एक तो दिल्ली की जून की तपती, दहकती दोपहरी और शरीर को तंदूर की तरह सेंके जा रही...
लघुकथा : कैलाश झा ‘किंकर’
बाबूजी ठीक कह रहे हैं - कैलाश झा किंकर 'कोरोनटाईन सेंटर के प्रभारी के रूप में तुमने ग़लत कमाई का जो अम्बार खड़ा कर...
लघुकथा :: ज्वाला सांध्यपुष्प
मां का आशीर्वाद - ज्वाला सांध्यपुष्प आज शहर के युवा चिकित्सक अमितशंकर के प्रथम पुत्र की छट्ठी की रस्म थी और वे खुद अनुपस्थित थे।शहर...
लघुकथा :: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी
सब्ज़ी मेकर इस दीपावली वह पहली बार अकेली खाना बना रही थी। सब्ज़ी बिगड़ जाने के डर से मध्यम आंच पर कड़ाही में रखे तेल...
लघुकथा : मुकुन्द प्रकाश मिश्र
राजधानी एक्सप्रेस - मुकुन्द प्रकाश मिश्र मैं रेलवे स्टेशन पर बैठ कर ट्रेन का इंतजार कर रहा था ।किसी ने कहा ट्रेन हमेशा की तरह...
लघुकथा : तारकेश्वरी तरु ‘सुधि ‘
प्रेम जैसे ही फोन उठाया वो बोली मेरे जीवन में आपने रंग भरे हैं । मैं कर्जदार हूँ आपकी । अपने घर आ गई हूँ...
लघुकथा : कामिनी पाठक
अहसास का बंधन वेे अतीत के पल भी कितने सुनहरे थे। चुपके -चुपके मिलना ,माता-पिता का डर , समाज का डर । वो पहली बारिश...
लघुकथा : सुरेखा कादियान ‘सृजना’
राधिका ''राधिका इतने साल से तुम्हें बुलाने की कोशिश कर रही हूँ, पर तुम हो कि मानती ही नहीं | ऐसी भी क्या जिद कि...
लघुकथा
नीलिमा शर्मा की लघुकथाएं अपना सुख "पापा आपके घर क्या बर्तन नही थे जो माँ शादी में बर्तन फर्नीचर लेकर आई थी ' बेटे ने हाथ...
मार्टिन जॉन की चार लघुकथाएं
डिलीट होते रिश्ते ‘समकालीन कथा परिदृश्य में मुखरित संवेदनहीन होते मानवीय रिश्ते’ – आज का यही मुद्दा था. व्हाट्सएप ग्रुप ’वाक् युद्ध’ के इस वैचारिक...