विशिष्ट ग़ज़लकार : विकास

1 प्यार हमने किया छोड़िये छोड़िये चाक दामन सिया छोड़िये छोड़िये शोख़ पुरवईया दिल दुखाती रहीं साथ उनके जिया छोड़िये छोड़िये ये न समझो कि...

विशिष्ट कवि : ध्रुव गुप्त

तुम मुझे मिली तुम मुझे मिली मैं सरेराह ठिठक गया तुमने मुझे देखा मेरी आंखों में उग आया सतरंगा इंद्रधनुष तुम मुस्कुराई मेरे भीतर हरसिंगार...

विशिष्ट कवयित्री : आरती तिवारी

प्रेम 1 तुमने कहा चाहता हूँ बेइन्तहा तुम्हे तुम्हारी खातिर सो नहीं पाता रातों को तुम्हारे सिर्फ तुम्हारे लिए जागता और बदलता हूँ करवटें सारी...